Spread the love

उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड द्वारा चाय बागानों के संचालन पर कास्तकारों की आपत्ति

संवाददाता सीमा खेतवाल

अल्मोड़ा: उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड द्वारा चाय बागानों को भूमिधरों के हवाले करने के निर्णय के खिलाफ कास्तकारों और भूमिधरों ने विरोध जताया है। बोर्ड द्वारा जारी पत्र संख्या 744/18/7-15/बागान वापसी/2023-24 दिनांक 02 जनवरी 2025 के आधार पर सहायक प्रबंधक द्वारा 28 जनवरी 2025 को जारी पत्र में चाय बागानों को वापस करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन कास्तकारों ने इस निर्णय पर गंभीर आपत्ति उठाई है।

कास्तकारों का कहना है कि चाय बागान उत्पादन के दृष्टिकोण से अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं और इन बागानों को बिना किसी पूर्व सूचना या चर्चा के भूमिधरों को सौंपा जा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि बोर्ड ने एकपक्षीय निर्णय लिया है और कास्तकारों का पक्ष नहीं सुना गया है।

कास्तकारों का मानना है कि चाय बागानों की स्थिति की उचित जांच नहीं की गई है और चाय बागानों के लिए संरक्षण की जरूरत है। बिना सरकारी सहायता और बोर्ड की मदद के कास्तकार चाय बागानों को सही ढंग से संचालित करने में सक्षम नहीं हैं। इसके अलावा, उन्होंने चाय बागानों में उत्पादन बढ़ाने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण और अन्य आवश्यकताओं की भी मांग की है।

कास्तकारों ने बोर्ड से पुनः विचार करने की अपील करते हुए यह भी कहा है कि यदि जल्द ही इस निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो वे धरना-प्रदर्शन करने के लिए बाध्य होंगे। उनका कहना है कि वे चाय बागानों को आगामी 15 वर्षों के लिए बोर्ड को लीज पर देना चाहते हैं, ताकि रोजगार सृजन और चाय बागानों का बेहतर संचालन हो सके।

इस मामले में कास्तकारों और भूमिधरों के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, और अब देखना यह होगा कि बोर्ड इस पर किस प्रकार की कार्रवाई करता है।


Spread the love