“उत्तराखण्ड यूसीसी प्रावधानों पर बार एसोसिएशनों के पूर्व पदाधिकारियों का विरोध, बार काउन्सिल से उचित कार्यवाही की अपील”
उत्तराखण्ड सरकार द्वारा लागू किये गये यूसीसी के कुछ प्रावधानों को लेकर आज विभिन्न बार एसोसिएशनस के पूर्व पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधि मण्डल बार काउन्सिल के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह पाल और सदस्य सचिव मेहरबान सिंह कोरंगा से मिला और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा तथा माँग की कि बार काउन्सिल यूसीसी में विवाह पंजीकरण,उत्तराधिकार,वसीयत आदि और रजिस्ट्री को पेपर लेस व online किये जाने के प्रावधानों को लेकर उचित कार्यवाही करे।
उक्त प्रावधानों को लेकर पूरे प्रदेश के अधिवक्ताओं में रोष है उक्त प्रावधान अधिवक्तागण के साथ साथ आम जनता के हित में भी नहीं हैं,जिसमें कई विधिक कमियाँ हैं। उक्त प्रावधानों में अधिवक्ताओं की भूमिका का पूर्णरूप से नज़र अंदाज कर दिया गया है जिससे इस क़ानून के दुरूपयोग की संभावना बढ़ गयी है जो की वादकरियों के हित में नहीं है।
पंजीकरण के कार्य में पारदर्शिता ख़त्म हो जाने से कई तरीक़े के विवाद जन्म लेंगे और आम जनता को भी नुकसान उठाना पड़ेगा।
ज्ञापन देने वालों में हल्द्वानी बार के पूर्व अध्यक्ष गोविन्द सिंह बिष्ट,पूर्व सचिव विनीत परिहार,हाईकोर्ट बार के पूर्व अध्यक्ष डी०सी०एस०रावत,पूर्व अध्यक्ष सैय्यद नदीम,पूर्व सचिव विकास बहुगुणा,पूर्व सचिव सौरभ अधिकारी,जिला बार नैनीताल के पूर्व सचिव दीपक रूबाली,पूर्व उपाध्यक्ष प्रदीप परगाई,पूर्व उपाध्यक्ष पंकज चौहान थे।जहां हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष दुर्गा सिंह मेहता,परितोष डालाकोटि व आदित्य कुमार आदि उपस्थित रहे।

