Spread the love

देहरादून में नौवीं कक्षा की छात्रा गर्भवती , क्या युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन मिल रहा?

नौवीं कक्षा की छात्रा के गर्भवती होने के बाद उठे सवाल

देहरादून। एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली 15 वर्षीय नौवीं कक्षा की छात्रा के साथ 12वीं कक्षा के एक छात्र द्वारा दुष्कर्म किए जाने का मामला सामने आया है, जिसने समाज को हिला कर रख दिया है। यह मामला उस समय उजागर हुआ जब पीड़िता छात्रा छह महीने की गर्भवती हो गई। इस घटना ने परिवार के पैरों तले जमीन खिसका दी और उन्हें मानसिक रूप से तोड़कर रख दिया।

पीड़िता के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी बेटी उसी स्कूल में पढ़ती थी, जहां 12वीं कक्षा का एक छात्र उसे बहला-फुसलाकर अपने साथ ले जाता था। आरोप है कि छात्र ने लगभग एक साल तक उसके साथ दुष्कर्म किया। जब पीड़िता गर्भवती हो गई, तब यह घटना सामने आई। इस घटना ने परिवार को भावनात्मक और मानसिक रूप से पूरी तरह से प्रभावित किया है।

एसएसपी अजय सिंह ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि पीड़िता के पिता की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है और जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने इस घटना को बेहद संवेदनशील बताते हुए गंभीरता से मामले की जांच का आश्वासन दिया है।

देहरादून में इस 15 वर्षीय नौवीं कक्षा की छात्रा से जुड़े मामले ने समाज में गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना ने न केवल शिक्षा व्यवस्था, बल्कि माता-पिता की जिम्मेदारी और समाज की दिशा पर भी अहम सवाल उठाए हैं। क्या युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन मिल रहा है? क्या माता-पिता अपने बच्चों की गतिविधियों पर पर्याप्त ध्यान दे रहे हैं? क्या शिक्षा व्यवस्था में नैतिक शिक्षा और यौन शिक्षा को सही महत्व दिया जा रहा है?

यह घटना समाज में इन सवालों को और भी प्रासंगिक बना देती है। एक ओर जहां युवा पीढ़ी के लिए भविष्य की दिशा तय करने के लिए शिक्षा और परिवार का सहयोग जरूरी है, वहीं दूसरी ओर नैतिक और यौन शिक्षा की कमी इन घटनाओं को बढ़ावा दे रही है। अगर युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन और संवेदनशील शिक्षा प्रदान की जाती, तो शायद इस प्रकार की घटनाओं से बचा जा सकता था।

माता-पिता की भूमिका भी इस संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्या वे अपने बच्चों के साथ हो रही गतिविधियों पर ध्यान दे रहे हैं? क्या वे बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास पर गौर कर रहे हैं? यदि माता-पिता अपने बच्चों के साथ संवाद स्थापित करें और उनके परिवर्तित होते मानसिक स्थिति पर ध्यान दें, तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

समाज में बढ़ते अपराधों को रोकने के लिए यह समय है कि ठोस कदम उठाए जाएं। केवल शिक्षा व्यवस्था और माता-पिता पर ही जिम्मेदारी नहीं डाली जा सकती, बल्कि समाज के सभी हिस्सों को इस दिशा में सक्रिय भूमिका निभानी होगी। इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए हमें बच्चों को सही मार्गदर्शन देने के साथ-साथ नैतिक शिक्षा और यौन शिक्षा को भी प्राथमिकता देनी होगी।


Spread the love