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प्राइवेट स्कूलों की मनमानी, ट्यूशन फीस में 40% तक की बढ़ोतरी

उत्तराखंड में आगामी शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से शुरू होने जा रहा है, लेकिन इसके पहले ही कई प्राइवेट स्कूलों ने फीस बढ़ोतरी और मनमानी वसूली की शुरुआत कर दी है। कई स्कूलों ने ट्यूशन फीस में 40 फीसदी तक बढ़ोतरी की है, जबकि कुछ स्कूलों ने नए सिरे से पंजीकरण शुल्क भी वसूलना शुरू कर दिया है। इस बार प्राइमरी और जूनियर स्तर के छात्रों की फीस में 500 से लेकर 1300 रुपये तक की बढ़ोतरी की गई है।

प्राइमरी से जूनियर कक्षाओं में फीस बढ़ोतरी
विशेष रूप से, प्राइमरी से जूनियर सेक्शन में जाने वाले छात्रों की फीस में कई स्कूलों ने 40 फीसदी तक की बढ़ोतरी की है। कुछ स्कूल यह बढ़ोतरी एक अप्रैल से लागू करेंगे, जबकि कई स्कूल पहले ही बिल्डिंग मेंटीनेंस, खेल, सांस्कृतिक गतिविधियों, और परीक्षा शुल्क के रूप में अतिरिक्त फीस वसूल रहे हैं।

पंजीकरण शुल्क में भी बढ़ोतरी
इसके अलावा, कुछ स्कूलों ने वार्षिक रिजल्ट जारी करने के साथ ही अभिभावकों को सालाना फीस का प्रारूप थमाया है, जिसमें प्राइमरी से जूनियर कक्षाओं में जाने वाले छात्रों से 4000 रुपये तक का पंजीकरण शुल्क वसूला जा रहा है। ट्यूशन फीस के अतिरिक्त वार्षिक फीस में भी डेढ़ गुना तक बढ़ोतरी की गई है।

अभिभावकों में नाराजगी
अभिभावकों का कहना है कि स्कूलों द्वारा फीस के नाम पर इस तरह की मनमानी की जा रही है, जो छात्रों के शिक्षा अधिकार के खिलाफ है। फीस में इस तरह की बढ़ोतरी से आम आदमी के लिए प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना सपना बनकर रह जाएगा। अभिभावकों ने सरकार से आग्रह किया है कि वह फीस ऐक्ट बनाकर प्राइवेट स्कूलों पर कड़ी निगरानी रखे और फीस की बढ़ोतरी पर रोक लगाए।

सरकार से हस्तक्षेप की मांग
अभिभावकों का मानना है कि इस तरह के शुल्कों की बढ़ोतरी का कोई औचित्य नहीं है, और सरकार को तत्काल प्रभाव से निजी स्कूलों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। फीस को कम से कम आधा किया जाना चाहिए, ताकि शिक्षा आम आदमी की पहुंच से बाहर न हो जाए।


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