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आरोपी पर पॉक्सो के साथ SC एक्ट भी, इंसाफ की लड़ाई जारी

सोशल मीडिया पर न्यायपालिका के खिलाफ अभद्रता: हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने उठाई आवाज

नैनीताल में 12 वर्षीय बालिका से दुष्कर्म के सनसनीखेज मामले में आज उत्तराखंड हाईकोर्ट में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ ने इस मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की।

सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) को कड़ी फटकार लगाई और उन्हें व्यक्तिगत रूप से मामले की जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि एसएसपी प्रत्येक सप्ताह जांच की प्रगति की समीक्षा करें और तीन महीने बाद, 5 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें। आज की सुनवाई में एसएसपी नैनीताल प्रह्लाद नारायण मीणा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए और उन्होंने अदालत को शहर में कानून व्यवस्था की स्थिति और चल रही जांच के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आरोपी मोहम्मद उस्मान के खिलाफ पॉक्सो एक्ट के साथ-साथ अनुसूचित जाति (एससी) एक्ट की धाराएं भी लगाई गई हैं, क्योंकि पीड़िता अनुसूचित जाति की है।

इस बीच, नैनीताल नगर पालिका द्वारा आरोपी के घर को अवैध निर्माण घोषित कर उसे तोड़ने के नोटिस के खिलाफ दायर याचिका पर भी सुनवाई हुई। कोर्ट ने नगर पालिका के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर पहले से लगाई गई रोक को बरकरार रखा है। हालांकि, नगर पालिका ने अदालत को सूचित किया कि उसने कोर्ट के आदेश के बाद अवैध निर्माण खाली कराने का नोटिस वापस ले लिया है।

सुनवाई में पीड़ित परिवार की ओर से हस्तक्षेप याचिका भी दायर की गई, जिसमें उन्हें मामले में पक्षकार बनाने का अनुरोध किया गया है। इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सोशल मीडिया पर अधिवक्ताओं और न्यायपालिका के खिलाफ की जा रही अभद्र टिप्पणियों का मुद्दा उठाया और ऐसी पोस्ट पर रोक लगाने के लिए पुलिस प्रशासन से कार्रवाई करने का आग्रह किया।

एक अन्य महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, यह भी सामने आया कि नगर पालिका ने क्षेत्र के कई अन्य लोगों को भी नोटिस जारी किए हैं। इस पर आपत्ति जताते हुए कहा गया कि यह सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवमानना है, क्योंकि नगर पालिका इन लोगों को बिना उनकी बात सुने इस तरह से मकान खाली करने का नोटिस नहीं दे सकती। इन निवासियों को भी अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए, खासकर जब मुख्य आरोपी पहले से ही पुलिस हिरासत में है।

गौरतलब है कि इस जघन्य अपराध के बाद से ही विभिन्न संगठन आरोपी को फांसी की सजा दिलाने की मांग को लेकर लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। हाईकोर्ट में हुई आज की सुनवाई इस संवेदनशील मामले में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, और सभी की निगाहें अब अगली सुनवाई पर टिकी हैं।


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