अपराध से संन्यास की ओर
मैं बनना चाहता हूँ संन्यासी, मांगी जेल अधीक्षक से अनुमति
हल्द्वानी। प्रकाश पांडे उर्फ पीपी ने संन्यास लेने के लिए अल्मोड़ा जेल अधीक्षक को एक पत्र लिखा है जिसमे जेल परिसर स्थित मंदिर में एक अनुष्ठान करने की अनुमति मांगी है। पत्र को जेल अधीक्षक द्वारा डीआईजी जेल को भेज दिया गया है
पीपी ने अब आध्यात्म की ओर रुख करने का विचार बनाया है। बता दे कि प्रकाश पांडे उर्फ पीपी अंडरवर्ड डॉन को वर्ष 2010 में मलेशिया से पकड़ा गया था। तब से वह अल्मोड़ा जेल में आजीवन कारावास भुगत रहा है। उस के विरुद्ध देशभर के थानों में एक दर्जन से अधिक आपराधिक मुकदमे हैं। न्यायालयों में उस पर हत्या, लूट समेत कई मामले में सुनवाई चल रही है। कई मुकदमें में उसे आजीवन कारावास की सजा हो गयी है।
पीपी ने 13 मार्च को अल्मोड़ा जेल अधीक्षक को एक पत्र लिखा था। जिसमे उसके द्वारा अल्मोड़ा जेल के बाहर मंदिर में अनुष्ठान करने की अनुमति मांगी थी। इस अनुष्ठान में वह दीक्षा लेकर संन्यासी बनना चाहता है। पीपी ने पत्र में कहा था कि उसे अपने पूर्व में किए कामों पर पश्चाताप है। और अब वह गो सेवा, राष्ट्र सेवा करना चाहता है। जेल प्रशासन का इस पर कहना है कि पीपी को अगर संन्यास लेना था तो वह बिना धार्मिक कार्यक्रम भी ले सकता है। इसके लिए वह अनुष्ठान क्यों करना चाहता है। दीक्षा लेने के लिए वह बाहर से किसी को बुलाना चाहता है। जेल प्रशासन का कहना है इसके पीछे कोई बड़ी शाजिस भी हो सकती है। हालांकि इस मामले में जेल प्रशासन ने अनुष्ठान कराने की अनुमति देने से मना कर दिया है। साथ ही डीआईजी जेल को अवगत करा दिया है।
प्रकाश पांडे द्वारा लिखा गया पत्र
महोदय,
निवेदन इस प्रकार है कि मैं प्रकाश पांडे उर्फ पीपी निर्मला कांवेंट स्कूल के पीछे दमुवाढूंगा हल्द्वानी का रहने वाला हूं। मैं वर्तमान में अपने जीवन में किए कार्यों का पश्चताप कर रहा हूं। अब मेरा हृदय पूर्ण रूप से परिवर्तित हो चुका है। मुझे ये अनुभूति हो गई है कि परिस्थिति वश मेरे द्वारा किए गए कार्य गलत थे। और मैं गलत राह पर था। किंतु अब मेरी आध्यात्मिक चेतना जागृत हो चुकी है। ईश्वर के प्रति निष्ठावान होकर अपना संपूर्ण जीवन देश सेवा, राष्ट्र सेवा, गौ सेवा में समर्पित करना चाहता हूं। सनातन धर्म के अनुसार संन्यास अपनाना चाहता हूं। इसके लिए मुझे मार्गदर्शन के साथ कारागार के मंदिर प्रांगण में अनुष्ठान के आयोजन की अनुमति प्रदान की जाए। जिसके लिए मैं आपका आभारी रहूंगा।
पत्र के अंत में पीपी ने अपने नाम के साथ पूरा पता भी लिखा है।

