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रामपुर तिराहा कांड दोषियों की सजा पर आज होगी सुनवाई

न्याय से एक कदम दूर उत्तराखंड आन्दोलनकारी

सामूहिक दुष्कर्म में पीएसी के दो सिपाही पर हुआ  दोष सिद्ध  , फैसला आज 18 मार्च को, तीस साल पहले बस में अंजाम दी गई थी वारदात, दोषी मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप सिंह को अदालत ने 15 मार्च को भेज दिया था जेल

मुजफ्फरनगर। 15 मार्च को अपर जिला एवं सत्र न्यायालय संख्या-7 के पोदासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने रामपुर तिराहा कांड के दोषियों के विरुधे दोष सिद्ध होने पर सुनवाई हेतु 18 मार्च की तिथि निर्धारित कि थी।

चर्चित रामपुर तिराहा कांड में सामूहिक दुष्कर्म, लूट, छेड़छाड़ और साजिश रचने के मामले में आज सोमवार को सजा के प्रश्न पर सुनवाई होगी। पीएसी के दो सिपाहियों पर 15 मार्च को दोष सिद्ध हो चुका है। जिससे अभियुक्त मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप सिंह पर धारा 376जी, 323, 354, 392, 509 व 120 बी में दोष सिद्ध हुआ। जिसमे सीबीआई बनाम मिलाप सिंह की पत्रावली की सुनवाई में सीबीआई की ओर से कुल 15 गवाह पेश किए गए थे। दोनों दोषी सेवानिवृत्त हो चुके हैं। दोनों दोषियों को जिला कारागार भेज दिया गया।

जानिए क्या हुआ उस समय उत्तराखंड आंदोलनकारियो के साथ  

एक अक्तूबर 1994 की रात अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार हो आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। इनमें महिला आंदोलनकारी भी शामिल थीं। रात करीब एक बजे रामपुर तिराहा पर बस रुकवा ली। दोनों दोषियों ने बस में चढ़कर महिला आंदोलनकारी के साथ छेड़खानी और दुष्कर्म किया। पीड़िता से सोने की चेन और रुपये भी लूट लिए थे। आंदोलनकारियों पर मुकदमे दर्ज किए गए थे। उत्तराखंड संघर्ष समिति द्वारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने पर 25 जनवरी 1995 को सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे।


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