आखिर कब तय होंगे उत्तराखंड के ज्वलंत मुद्दे
राज्य बनने के बाद हो चुके हैं पांच विधानसभा और चार लोकसभा चुनाव
हल्द्वानी। आम चुनावों की प्रकिया शुरू होने वाली है और एक अहम सवाल यह है कि आखिर मुद्दे कब तय होंगे। बीते हुए चुनावों के दौरान सियासी दलों ने अपने घोषणा पत्र में जो वादे किये थे, इन पर अभी तक पूर्णतः अमल नहीं हो पाया है। तो क्या यहां के अहम मामले सियासी दलों के लिए गौण बन चुके हैं। लगता है कि इन मुद्दों को लेकर इस बार भी कोई सियासी दल गंभीर नहीं दिखाई देता।
विदित हो कि अलग उत्तराखंड राज्य का निर्माण के पीछे उपेक्षा व विकास के किरणों से वंचित रहना था। इन ज्वलंत मुदृदों कोे लेकर अलग राज्य की नींव रखी गई थी। उम्मीद थी कि अलग राज्य बनने के बाद इन बिन्दुओं पर अमल होगा लेकिन बीते 24 सालों पर नजर दौडाई जाये तो अभी काफी कुछ किया जाना बाकीं है।
राज्य बनने के बाद निर्वाचित सरकार के रूप में 2002 में उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार बनी। विकास पुरूष के नाम से जाने जाने वाले एनडी तिवारी राज्य के प्रथम निर्वाचित सीएम बने। लोगों को आषा थी कि अपने विराट प्रषासनिक अनुभव को पहाड़ के हितों के लिए उड़ेल देंगे लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इसके बाद बारी- बारी से राज्य मेें कांग्रेस और भाजपा की सरकारें सत्ता में आई लेकिन अहम मुदृदों पर कार्य होना बाकीं रहा।
