उत्तराखंड : नहीं रहे पायलट बाबा! अखाड़े की सभी शाखाओं में तीन दिन का शोक
जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का मंगलवार को 86 वर्ष की अवस्था में मुंबई के कोकिला बेन धीरु भाई अंबानी अस्पताल में निधन हो गया। वे पिछले कई माह से बीमार चल रहे थे। उनकी मौत की खबर से पूरे संत समाज में शोक की लहर है। जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरी गिरी महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े की पूरे प्रदेश में स्थित सभी शाखाओं, आश्रमों और मुख्य पीठों पर शोक सभा व शांति पाठ का आयोजन किया जा रहा है।
जूना अखाड़े ने तीन दिन का शोक घोषित किया गया है। इन तीन दिनों में पायलट बाबा की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ हवन तथा विशेष पूजा अर्चना की जाएगी।श्री महंत हरि गिरी महाराज ने कहा कि पायलट बाबा की अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाएगी। जूना अखाड़े के समस्त पदाधिकारी और वरिष्ठ संत, महामंडलेश्वर उनको समाधि देने के लिए पहुंचेंगे। हरिद्वार अखाड़े में पायलट बाबा के ब्रह्मलीन होने पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।
बाद उनका भारतीय वायु सेना में चयन हुआ। बाबा यहां विंग कमांडर के पद पर थे। पायलट बाबा रोहतास जिला के नोखा प्रखंड के विशुनपुरा के मूल निवासी थे। वर्ष 1957 में पायलट के रूप में भारतीय वायु सेना में वे शामिल हुए थे। पायलट बाबा ने 1962 में भारत-चीन युद्ध में भाग लिया था। इसके अलावा 1965 व 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी लड़ाई लड़ी थी। बाबा कुछ समय तक बॉलीवुड से भी जुड़े रहे, उन्होंने ‘एक फूल दो माली’ में अभिनय भी किया।
बाबा बताते थे कि, सन 1996 में जब वे मिग विमान भारत के पूर्वोत्तर में उड़ा रहे थे तब उनके साथ एक हादसा हुआ था। उनका विमान से नियंत्रण खो गया। उसी दौरान बाबा को उनके गुरु हरि गिरी महाराज का दर्शन प्राप्त हुए और वे उन्हें वहां से सुरक्षित निकाल लिए। यही वो क्षण था जब बाबा को वैराग्य प्राप्त हुआ
