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न्यायालय में अधिवक्ता की दमदार पैरवी से चैक के मुक़दमे में आरोपित को 6 माह साधारण कारावास और 10 हज़ार रूपये अर्थदण्ड

दोनों चैकों की कुल धनराशि मय हर्ज़ाना 3 लाख रुपये परिवादी को अदा करने का दिया आदेश

वर्ष 2020 के लेनदेन के NI Act के चैक के मुक़दमे में सिविल् जज (सीनियर डिवीज़न)/न्यायिक् मजिस्ट्रेट हल्द्वानी ज्योति बाला  ने आरोपित रितेश कुमार को 6 माह साधारण कारावास और 10 हज़ार रूपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई, साथ ही दोनों चैकों की कुल धनराशि मय  हर्ज़ाना 3 लाख रुपये परिवादी को अदा करने का आदेश दिया।

संक्षेप में कथानक इस प्रकार है कि वर्ष 2020 में आरोपित रितेश कुमार ने अपने ज़रूरी कार्य हेतु परिवादी अरुण देवरानी से 2,90,000//- रूपये उधार लिए और उसके एवज़ में उसे दो चैक दिए जिनके बाउंस होने पर परिवादी ने आरोपित पर वर्ष 2021 में एक NI Act का मुक़दमा दायर कर दिया। पत्रावली में उपलब्ध साक्ष्य व गवाहों के बयानों के आधार पर न्यायालय ने माना की मुल्ज़िम 139 NI Act की उपधारणा को अपने साक्ष्य  द्वारा खंडित करने में असफल रहा जबकि परिवादी ने अपना परिवाद संदेह रहित साबित किया। कोर्ट ने कहा कि मुल्जिम के अनुसार यदि परिवादी ने मुल्जिम के चैक चोरी किये होते तो उसके द्वारा परिवादी के विरुद्ध चोरी की रिपोर्ट या अन्य क़ानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए थी।साथ ही परिवादी की अधिवक्ता सुचित्रा बेलवाल द्वारा दी गई नजीरों को भी न्यायालय ने सही माना और आरोपित को दोषसिद्ध किया ।

परिवादी की ओर से पैरवी करने वाली अधिवक्ता सुचित्रा बेलवाल ने बताया की परिवाद में मुल्जिम का मात्र संदेह उत्पन्न कर देना पर्याप्त नहीं है , बल्कि उसे अपने मज़बूत साक्ष्यों द्वारा अपने पक्ष को साबित करना होगा !


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