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आख़िरकार पकड़ा गया ‘डॉक्टर डेथ’: 100 से ज्यादा हत्याएं कर आश्रम में पुजारी बनकर छिपा था कुख्यात सीरियल किलर

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने देश के सबसे खौफनाक अपराधियों में गिने जाने वाले देवेंद्र शर्मा उर्फ ‘डॉक्टर डेथ’ को एक बार फिर दबोच लिया है। आयुर्वेदिक डॉक्टर से सीरियल किलर बने इस शातिर अपराधी को पुलिस ने राजस्थान के दौसा ज़िले के एक आश्रम से गिरफ्तार किया, जहां वह बीते दो वर्षों से पुजारी बनकर छिपा बैठा था।

2013 में उम्रकैद की सज़ा पाए देवेंद्र शर्मा को 2023 में तिहाड़ जेल से पैरोल पर रिहा किया गया था। लेकिन एक बार फिर, जैसा वह पहले भी कर चुका था, वह जेल वापस नहीं लौटा। दिल्ली पुलिस की आरके पुरम क्राइम ब्रांच टीम ने छह महीने तक गुप्त अभियान चलाया और अंततः 20 मई 2025 को दौसा स्थित आश्रम से उसे हिरासत में ले लिया।

देवेंद्र शर्मा की कहानी किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ निवासी इस व्यक्ति ने आयुर्वेद में डिग्री लेने के बाद राजस्थान के बांदीकुई में क्लिनिक शुरू किया था। लेकिन 1994 में एक गैस डीलरशिप घोटाले में घाटा उठाने के बाद उसका झुकाव अपराध की ओर हुआ।

इसके बाद जो शुरू हुआ, वह भारत के अपराध इतिहास का एक काला अध्याय बन गया।

2002 से 2004 के बीच उसने अपने गिरोह के साथ मिलकर दिल्ली, यूपी, हरियाणा और राजस्थान में टैक्सी और ट्रक ड्राइवरों को टारगेट करना शुरू किया। वह उन्हें फर्जी ट्रिप के बहाने बुलाता, उनकी हत्या करता और फिर उनके वाहनों को ग्रे मार्केट में बेच देता था। लाशें कासगंज की हजारा नहर में फेंक दी जातीं, जहां मगरमच्छ सबूतों को भी खत्म कर देते।

पुलिस की पूछताछ में देवेंद्र ने 50 हत्याओं के बाद गिनती छोड़ दी थी” ऐसा खुद स्वीकार किया।

देवेंद्र केवल हत्यारा ही नहीं था, वह एक संगठित अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भी सरगना था। 1994 से 2004 के बीच उसने गुरुग्राम के एक डॉक्टर के साथ मिलकर 125 से अधिक गैरकानूनी ट्रांसप्लांट कराए। हर केस में उसे 5 से 7 लाख रुपये मिलते थे।

यह पहली बार नहीं था जब देवेंद्र ने पैरोल का दुरुपयोग किया। 2020 में भी वह 20 दिन की पैरोल पर बाहर आया और सात महीने तक फरार रहा था। तब उसे दिल्ली के बापरोला क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया था।

इस बार पुलिस ने योजना बनाकर उसे पकड़ने के लिए टीम के एक सदस्य को उसका शिष्य बनाकर आश्रम में भेजा। उसकी गतिविधियों की निगरानी की गई और सही समय पर उसे काबू में ले लिया गया। दिल्ली पुलिस के डीसीपी गौतम के अनुसार, “उसने पूछताछ में कहा कि वह जेल नहीं लौटना चाहता था। उसने दोबारा जीवन शुरू करने की कोशिश की थी, लेकिन अपराध का साया पीछा नहीं छोड़ता।”


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