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अनोखी शादी: हल्द्वानी की हर्षिका बचपन से प्रभु भक्ति में ऐसी रमी, श्रीकृष्ण से रचा ली शादी

गाजे-बाजे के साथ बारात आई, वरमाला और फेरे हुए, लोगों ने शादी की दावत में किया प्रतिभाग

हल्द्वानी:- ईश्वर को प्राप्त करने का सबसे सरल व उत्तम साधन प्रेम है, जहां प्रेम है वहीं ईश्वर है. मनुष्य चाहे जितना भी जप, तप, दान कर लें लेकिन ईश्वर को प्राप्त नहीं कर सकता,भगवान श्री कृष्ण भागवत में कहा है कि कर्म के आधार पर मनुष्य को फल की प्राप्ति होती है जो मनुष्य अपने जीवन में जैसा कर्म करता है उन्हें उसी के हिसाब से फल की प्राप्ति होती है. इसलिए मनुष्य को हमेशा नि:स्वार्थ रुप से कर्म करना चाहिए. अगर मनुष्य भगवान के प्रेम में रंग जाये तो उसके मन में जो आनंद की अनुभूति होती है उसको बयां नहीं किया जा सकता ऐसा है एक मामला प्रेमपुर लोश्ज्ञानी से सटे इंद्रप्रस्थ कॉलोनी में देखने को मिला जहाँ पूरन चंद्र पंत की 21 वर्षीय पुत्री हर्षिका बचपन बचपन से ही प्रभु भक्ति में ऐसी लीन हुई की आज उसकी शादी भी उसी पालनहार से हो गई

भगवान श्री कृष्ण को दिल से अपना सर्वस्व मान चुकी इस युवती ने आज वृंदावन से लाई गई श्री कृष्ण की प्रतिमा के साथ सात जन्मों तक साथ रहने के सात वचन लिए औरकान्हा के नाम का सिंदूर अपनी मांग में धारण किया।

बता दे कि सुबह साढ़े दस बजे गाजे-बाजे के साथ बारात आई, वरमाला और फेरे हुए, लोगों ने शादी की दावत में प्रतिभाग किया और वधु हर्षिका को आर्शीवाद दिया साथ ही शगुन का टीका लगाया।

वहीं इस मौके पर किसने क्या कहा आप भी सुनिए और साक्षी बनिए इस ऐतिहासिक शादी का… जहां केवल प्यार ही प्यार है और ईश्वर से इस प्रेम को जो भी आप नाम देना चाहें… हम तो इसे प्रीत ही कहेंगे जिसे उसकी मंजिल मिल गई।

मूल रूप से बागेश्वर के रहने वाले पूरन चंद्र पंत वर्ष 2020 से हल्द्वानी में प्रेमपुर लोश्ज्ञानी से सटे इंद्रप्रस्थ कॉलोनी रह रहे है। पूरन चंद्र पंत की 21 वर्षीय पुत्री हर्षिका बचपन से दिव्यांग है। इस युवती के चेहरे की कांति देखते ही बनती है, उसके शरीर का निचला हिस्सा काम नहीं करता, अपने दैनिक कार्यों के लिए भी उसे दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है लेकिन यकीन मानिए एक बार आप उसका दमकता चेहरा देख लेंगे तो आपके सारे तनाव स्वतः गायब हो जाएंगे।


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