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उत्तरकाशी के ब्रह्मखाल यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव टनल हादसे के 16 दिन, जानें कब और क्या हुआ

उत्तरकाशी टनल हादसे में आज सारे देश की नजर है। उत्तरकाशी में हुए इस खौफनाक हादसे ने सारे देश को हिला कर रख दिया है। 16 दिन बीत जाने के बाद भी मजदूरों को बाहर निकलने के लिए चलाए गए रेस्क्यू अभियान में अभी तक कोई कामयाबी हाथ नहीं लग पाई है। लेकिन कोशिशें अभी भी जारी है।

एक दिन, 12 नवंबररविवार

12 नवंबर दीपावली के त्यौहार के दिन उत्तरकाशी से एक दुखद खबर सामने आई। उत्तरकाशी के ब्रह्मखाल यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिलक्यारा से डंडालगांव के बीच एक सुरंग का निर्माण किया जा रहा था। तभी अचानक सुबह 5:30 बजे इस निर्माणधीन टनल में भूधंसाव हो गया। जिसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए।

दो दिन, 13 नवंबर, सोमवार

13 नवंबर को उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू का काम युद्ध स्तर पर जारी था। जहां एक तरफ पानी के पाइप के जरीए श्रमिकों तक कम्प्रेशर से खाना भेजा जा रहा था वहीं दूसरी तरफ मशीन से मलबा निकालने की कोशिश की जा रही थी। लेकिन जितना मलबा मशीन के जरिए निकाला जाता उतना ही ऊपर से गिरने लगता। ये देखते हुए हरिद्वार ऋषिकेश से बड़े पाइप टनल के अंदर डालने को मंगवाए गए। देखते ही देखते दो दिन बीत गए।

तीन दिन, 14  नवंबर, मंगलवार

तीसरे दिन 14 नवंबर को रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए 900 मिमी की व्यास पाइप और ऑगर ड्रिलिंग मशीन साइट पर पहुंच गई। ऑगर ड्रिल मशीन ने अपना काम भी शुरू कर दिया लेकिन इस दौरान बोल्डर जैसी बाधाएं भी लगातार ड्रिल मशीन के रास्ते में आती गयी। जिससे ऑगर ड्रिलिंग मशीन का कुछ हिस्सा भी टूट गया। इसके बाद दूसरी ऑगर ड्रिलिंग मशीन की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन को आगे बढ़ाया गया।

चार दिन, 15 नवंबर, बुधवार

अब तक श्रमिकों को टनल के अंदर 4 दिन बीत चुके थे। श्रमिकों का सब्र धीरे-धीरे टूटने लगा था। वहीं श्रमिकों के बाहर मौजूद साथी भी आक्रोशित दिखाई दिए जिस वजह से श्रमिकों और पुलिस प्रशासन के बीच झड़प और धक्का मुक्की भी हुई। इसी बीच उत्तरकाशी टनल रेस्क्यू की क्लोज मॉनिटरिंग के बाद पीएमओ ने बड़ा फैसला लिया। टनल में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए भारतीय सेना की मदद ली गई और इस फैसले के तहत मालवाहक विमान हरक्यूलिस के जरिए हेवी ड्रिल मशीन साइट पर पहुंचाई गई।

पाँच दिन, 16 नवंबर, गुरुवार

उत्तरकाशी रेस्क्यू आपरेशन को अब नई तेजी मिली। सुबह हरक्यूलिस विमान के जरिए मंगवाई गई हेवी ड्रिल मशीन को इंस्टाल कर दिया गया। लेकिन इसी बीच ये पता लगा की ये 900 एम एम के पाइप के कंपन से खतरा पैदा हो रहा था। जिसे देखते हुए स्ट्रेटजी बदली गई और 800 एम एम के पाइप टनल के अंदर डाले जाने लगे। अमेरिकन ऑगर मशीन ने देर शाम तक 15 मीटर लंबी ड्रिल कर पाइप अंदर सैट कर दिए। ये वही पाइप थे जिनके जरिए मजदूरों को निकाला जाना था।

: दिन, 17 नवंबर, शुक्रवार

17 नवंबर को श्रमिकों को टनल के अंदर पूरे छह दिन बीत चुके थे। इस दिन पूरे दिन अमेरीकन ऑगर मशीन शांत खड़ी दिखाई दी। अब मशीन को लेकर तरह तरह की चर्चाएं होने लगी और ऐसे पूरा दिन बीत गया।

सात दिन, 18 नवंबर, शनिवार

18 नवंबर को श्रमिकों को रेस्क्यू करने के लिए मंगाई गई ऑगर मशीन पिछले 20 घंटे से बंद पड़ी थी। एक्सपर्टस ने बताया की मशीन में कोई खराबी नहीं है बल्कि इस हेवी ऑगर मशीन के चलने से होने वाले वाइब्रेशन से टनल के अंदर मलबा गिर रहा है। जिससे टनल के अंदर फंसे श्रमिकों को खतरा हो सकता है इसलीए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है जिसके बाद एक और मशीन इंदौर से मंगवाई गई ।

इसी बीच सारे मीडिया चैनलों में एक ही खबर प्रसारित होने लगी वो खबर थी दैवीय प्रकोप की। बताया जा रहा था की टनल के ठीक ऊपर बासुकी नागदेवता का मंदिर था। स्थानीय मान्यता है की कोई भी कार्य करने से पहले इनके मंदिर में श्रीफल चढ़ाया जाता है और कार्य की अनुमति ली जाती है। लेकिन टनल निर्माण कार्य की अनुमति लेना तो दूर कंपनी ने नाग देवता का बरसों पुराना ये मंदिर ही हटवा दिया। स्थानीय लोगों का मानना था की मंदिर हटाने की वजह से ही ये हादसा हुआ है। जिसके बाद कंपनी ने 18 तारीख को को टनल के बाहर से मलबा हटाकर एक छोटा मंदिर वहां स्थापित कर दिया।

आठ दिन, 19 नवंबर, रविवार

19 नवंबर को उत्तरकाशी टनल हादसे को 8 दिन बीत चुके थे। अब केंद्र सरकार ने छह बचाव विकल्पों का प्लान तैयार किया जिसमें सुरंग के सिलक्यारा छोर, बड़कोट छोर, सुरंग के ऊपर और दाएं बाएं से ड्रिलिंग कर रास्ता तैयार किए जाने के साथ 2 रोबोट्स को भी टनल में भेजने की तैयारी की गई। कोशिशें थोड़ी सफल हो रही थीं, लेकिन अब भी तेजी से ड्रिलिंग नहीं हो पा रही थी, रेस्क्यू का दूसरा हफ्ता शुरू हो चुका था । 5 एजेंसियों को रेस्क्यू प्रोग्राम में शामिल किया गया श्रमिकों तक पोष्टिक भोजन और पर्याप्त ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए रेस्क्यू टीम ने 5 इंच चौड़े पाइप डालना शुरू कर दिया था। इसी दिन केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितीन गडकरी उत्तरकाशी पहुंचे और हालातों का जायजा लिया ।

 नौ दिन, 20 नवंबर, सोमवार

20 नवंबर को उत्तरकाशी टनल हादसे का 9 वां दिन था। रेस्क्यू ऑप्रेशन के 190 घंटे बीतने के बाद भी नतीजा सिफर था। इस टनल रेस्क्यू ऑप्रेशन में मदद करने के लिए इंटरनेशनल टनलिंग एंड अंडरग्राउंड स्पेस एसोसिएशन के अध्यक्ष अर्नोल्ड डिक्स साइट पर पहुंचे उन्होंने बासुकी नाग देवता के मंदर में आशीर्वाद लिया और जहां से वर्टिकल ड्रिल होनी थी उस स्थान का भी परीक्षण किया। साथ ही इस टनल के अंदर रोबोट भेजने और उसके जरिए दूसरी तरफ पाइप डालने के साथ अन्य संभावनाएं तलाशी जाने लगी।

 दस दिन, 21 नवंबर, मंगलवार

21 नवंबर टनल हादसे का 10 वां दिन एक नयी उम्मीद लेकर आया। रेस्क्यू टीम श्रमिको तक छह इंच का पाइप पहुंचाने में कामयाब रही। इस पाइप के जरिए श्रमिकों को खिचड़ी मोबाइल चार्जर भेजे गए। इसके साथ ही एक एंडोस्कोपिक कैमरा भी टनल के अंदर भेजा गया। जिसके जरिए इन 10 दिनों में पहली बार देश ने टनल के अंदर फंसे 41 मजदूरों के चहरे देखे।

 ग्यारह दिन, 22 नवंबर, बुधवार

 22 नवंबर यानी टनल हादसे का 11 वां दिन टनल में वर्टिकल ड्रिलिंग का काम तेजी से चलने लगा था तभी अचानक मशीन के रास्ते में एक आयरन राड आ गई और इसे काटने में करीबन 6 घंटे लगे।

बारह दिन, 23 नवंबर, गुरुवार

23 नवंबर रेस्क्यू ऑप्रेशन के बारहवें दिन कहा जा रहा था कि रेस्क्यू ऑपरेशन का आज आखरी दिन होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और तेरहवें दिन भी मजदूरों को रेस्क्यू करने के लिए कोशिशें जारी हैं। 23 नवंबर को दिन में ड्रिलिंग के दौरान रास्ते में कोई मेटल बॉडी आ गई जिसे काटते हुए ऑर्गर मशीन के ब्लेड्स बुरी तरह से खराब हो गए और ऑर्गर मशीन जिस प्लेटफॉर्म पर रखी हुई थी, वो कंक्रीट का प्लेटफॉर्म भी टूट गया। इसके बाद ड्रिलिंग बंद हो गई।

ड्रिलिंग के रास्ते में मेटल बॉडी आई थी उसे हटाने के लिए मैनुअल ड्रिलिंग और वेल्डिंग कटर का सहारा लिया गया। OSD उत्तराखंड सरकार और पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुलबे ने हमसे बातचीत में कहा था- हमने जिस वेल्डिंग कटर से मेटल काटने की कोशिश की, उस कटर की गैस का धुआं मजदूरों तक पहुंच रहा है, इसके बाद हमने कटिंग बंद कर दी।

तेरह दिन, 24 नवंबर, शुक्रवार

 अधिकारियों ने कहा, ड्रिलिंग 48 मीटर तक पहुंच गई है, उसमें दरारें दिखाई देने के बाद बोरिंग को फिर से रोकना पड़ा उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल हादसे में रेस्क्यू ऑपरेशन अब आखिरी पड़ाव पर है. बचाव दल सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को निकालने के बहुत करीब पहुंच गया है

चौदह दिन, 25 नवंबर, शनिवार

बचावकर्मियों को मलबे में से ड्रिल करके मज़दूरों तक रास्ता बनाने की कोशिश में कई अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है. खुदाई करके सुरंग बनाने वाली ऑगर मशीन ख़राब होने के कारण बचाव अभियान रुका हुआ है. अधिकारियों का कहना है कि यह काम शायद ही रविवार को शुरू हो क्योंकि पहले ऑगर की ब्लेड निकालनी होगी, जो बचाव के लिए लगाए गए पाइप में फंसी हुई है. ख़राब ऑगर को पाइप से बाहर निकालना दो कारणों से मुश्किल है. एक तो इसके लिए बचावकर्मियों को बहुत संकरी जगह में काम करना पड़ेगा और दूसरा इसे काटकर हटाना पड़ेगा काटने के दौरान बहुत ज़्यादा गर्मी पैदा होगी, जिससे बचावकर्मियों को बहुत असुविधा होगी. इस कारण पूरी प्रक्रिया बहुत लंबी और जटिल हो जाएगी

 पन्द्रह दिन, 26 नवंबर रविवार

 26 नवंबर: उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए पहाड़ की चोटी से वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू हुई। रात 11 बजे तक 20 मीटर तक खुदाई हुई। वर्टिकल ड्रिलिंग के तहत पहाड़ में ऊपर से नीचे की तरफ बड़ा होल करके रास्ता बनाया जा रहा है। अधिकारियों ने कहा- अगर कोई रुकावट नहीं आई तो हम 100 घंटे यानी 4 दिन में मजदूरों तक पहुंच जाएंगे।

सोलह दिन, 27 नवंबर ,सोमवार

27 नवंबर: सुबह 3 बजे सिल्क्यारा की तरफ से फंसे ऑगर मशीन के 13.9 मीटर लंबे पार्ट्स निकाल लिए। देर शाम तक ऑगर मशीन का हेड भी मलबे से निकाल लिया गया। इसके बाद रैट माइनर्स ने मैन्युअली ड्रिलिंग शुरू कर दी। रात 10 बजे तक पाइप को 0.9 मीटर आगे पुश भी किया गया। साथ ही 36 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग हो गई थी।


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