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उत्तराखंड पहाड़ों की दुर्दशा को बयां करता हादसा

 

उत्तराखंड के नैनीताल के छीड़ाखान-रीठा साहिब मोटर मार्ग पर शुक्रवार सुबह सड़क हादसे में नौ लोगों की मौत से छह परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। हादसे में एक ही परिवार के तीन और दूसरे परिवार के दो सगे भाइयों की मौत हुई है। हादसे की सूचना मिलते ही परिजन और ग्रामीण जैसे ही घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां शव पड़े देख चीखपुकार मच गई।

उत्तराखंड राज्य का जो गठन हुआ था। वह पहाड़ी क्षेत्र की दुर्दशा को देखते हुए पहाड़ी राज्य की मांग की गई थी।  लेकिन आज 23 वर्ष पूर्ण होने के बाद भी पहाड़ी राज्यों की क्या स्थिति है। पहाड़ी क्षेत्र को सुविधाओं से क्यों वंचित रखा जा रहा है? पलायन आखिर क्यों हो रहा है? हादसा होने के बाद भी क्यों अपनी जिम्मेदारियां का निर्वाह नहीं किया जा रहा है?

जिम्मेदारी किसकी–   बयां करता छीड़ाखान-रीठा साहिब मोटर मार्ग हादसा

कब क्या-क्या


7:00 बजे सुबह कैंपर वाहन डालकन्या से अधौड़ा होते हुए हल्द्वानी को रवाना हुआ
8:00 बजे छीड़ाखान के पास पहुंचते ही वाहन 500 फिट गहरी खाई में जा गिरा
8:20 बजे वाहन के खाई में गिरने की सूचना मिलते ही जुटे ग्रामीण
8:45 बजे गहरी खाई में उतरे ग्रामीणों ने रेस्क्यू अभियान शुरू किया
10:00 बजे ग्रमीण तीन से चार लोगों को घायल अवस्था में लेकर सड़क तक पहुंचे।
1:30 बजे तक सभी घायलों को खाई से सड़क पर लाया गया।

यदि अपनी जिम्मेदारी को प्रशासन द्वारा पूर्ण निष्ठा के साथ निभाया गया होता तो शायद कुछ की जान बच  सकती थी। घटना का समय प्रातः 8:00 बजे का था। और घायलों को सड़क पर लाने का समय लगभग डेढ़ बजे दिन का था। और इन घायलों को सड़क पर लाने का कार्य स्थानीय नागरिक द्वारा किया गया कहने का मतलब यह है की यदि स्थानीय प्रशासन द्वारा तत्परता के साथ इन  घायलों को उचित समय पर चिकित्सालय में पहुंचा दिया जाता तो कुछ हद तक स्थिति बदली हुई नजर आती।


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