हर फसल के साथ बदलती तकदीर: बागेश्वर में डीएम आशीष भटगांई की कृषि क्रांति
संवाददाता सीमा खेतवाल
बागेश्वर, उत्तराखंड की शांत वादियों में एक नई कृषि क्रांति आकार ले रही है, जिसकी कमान संभाले हैं जिलाधिकारी आशीष भटगांई। उनकी दूरदर्शी सोच और योजनाबद्ध प्रयासों ने जिले की पारंपरिक खेती को आधुनिक दिशा दी है। डीएम भटगांई का मानना है कि ग्रामीण समृद्धि की शुरुआत खेतों से होती है, और इसी सोच के तहत उन्होंने काली और लाल धान की व्यावसायिक खेती को प्रोत्साहन देने की योजना शुरू की है।
राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं प्रौद्योगिकी मिशन (NMAET) के अंतर्गत शुरू की गई इस पहल का उद्देश्य केवल नई किस्मों की खेती तक सीमित नहीं है, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करना भी है। काली और लाल धान न केवल पोषण से भरपूर हैं, बल्कि इनकी देश-विदेश में भारी मांग है। एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर और अन्य पोषक तत्वों से युक्त इन धानों को अब ‘सुपरफूड’ माना जाता है, और बागेश्वर को इसके एक प्रमुख उत्पादक के रूप में विकसित किया जा रहा है।
डीएम आशीष भटगांई ने इस संभावना को समझते हुए एक समग्र रणनीति तैयार की है। प्रशासन द्वारा किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज निःशुल्क उपलब्ध कराए जा रहे हैं, साथ ही उन्हें जैविक और आधुनिक खेती के तरीकों का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। विशेष बात यह है कि यह योजना किसानों को बाज़ार तक पहुँचाने और उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने पर भी केंद्रित है। किसानों और खरीदारों के बीच सीधा संवाद स्थापित किया जा रहा है ताकि बिचौलियों की भूमिका कम हो और लाभ सीधे किसानों तक पहुँचे।
धान की खेती के साथ-साथ बागेश्वर को औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती तथा मशरूम उत्पादन के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। ये वैकल्पिक फसलें कम लागत और शीघ्र लाभ का अवसर प्रदान करती हैं। इस बहुआयामी कृषि मॉडल के माध्यम से बागेश्वर न केवल आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहा है, बल्कि युवाओं को भी कृषि के क्षेत्र में नये अवसर मिल रहे हैं।
डीएम भटगांई की इस पहल ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि जब प्रशासनिक इच्छाशक्ति और जमीनी समझ एक साथ आती है, तो बदलाव असंभव नहीं होता। उनके शब्दों में, “हम केवल फसल नहीं बदल रहे, हम तकदीर बदल रहे हैं।” बागेश्वर अब विकास की एक नई मिसाल बन रहा है, जहाँ खेतों से खुशहाली की बुवाई हो रही है।
