उत्तराखंड की सियासत में हलचल: राज्यपाल की प्रधानमंत्री से मुलाकात पर बढ़ी चर्चाएं
उत्तराखंड के राज्यपाल, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में हुई मुलाकात के बाद प्रदेश की राजनीति में एक नई हलचल पैदा हो गई है। यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब राज्य में कैबिनेट विस्तार को लेकर अटकलें जोर पकड़ रही हैं। राज्य के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल के इस्तीफे के बाद मंत्री परिषद में एक स्थान रिक्त हो गया है, जिससे इस मुलाकात को कैबिनेट विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है।
कैबिनेट विस्तार की अटकलें तेज
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज्यपाल ने प्रधानमंत्री के समक्ष प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की होगी। हालांकि, इसे शिष्टाचार भेंट बताया जा रहा है, लेकिन सियासी गलियारों में इसे संभावित कैबिनेट विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है। प्रदेश में लंबे समय से कैबिनेट विस्तार की चर्चा चल रही है, और प्रेमचंद्र अग्रवाल के इस्तीफे के बाद इस विषय पर अटकलें और तेज हो गई हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जल्द ही कैबिनेट विस्तार कर सकते हैं। इसमें पार्टी नेतृत्व चुनावी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए नए चेहरों को मौका दे सकता है। जातीय और क्षेत्रीय संतुलन को बनाए रखते हुए नए मंत्री बनाए जा सकते हैं, जिससे पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में मजबूती से उतर सके।
प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा
सूत्रों के अनुसार, बैठक में राज्य की राजनीतिक स्थिति और भाजपा संगठन में संभावित फेरबदल पर भी चर्चा हुई। पार्टी के भीतर चल रही गुटबाजी और विपक्षी हमलों के बीच भाजपा प्रदेश संगठन में बदलाव की संभावना जताई जा रही है। इसके साथ ही, राज्यपाल ने प्रधानमंत्री को प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम से अवगत कराया है।
नए चेहरों को मौका
प्रेमचंद्र अग्रवाल के इस्तीफे के बाद भाजपा को एक नया चेहरा कैबिनेट में शामिल करने का अवसर मिला है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए नए मंत्री को शामिल कर सकती है। इसके अलावा, पार्टी युवा और नए चेहरों को मौका देकर चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने की रणनीति बना रही है।
राज्यपाल और प्रधानमंत्री की मुलाकात के बाद उत्तराखंड की सियासत गरमा गई है, और सभी की नजरें अब संभावित कैबिनेट विस्तार पर टिकी हैं।
