उत्तराखण्ड सरकार ने स्थानांतरण नीति में किए अहम बदलाव, जानिए क्या हैं नई गाइडलाइंस
देहरादून, 15 अप्रैल 2025 – उत्तराखण्ड शासन ने वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के अंतर्गत आगामी स्थानांतरण सत्र 2025-26 के लिए कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। शासन द्वारा गठित समिति की संस्तुति के आधार पर अपर सचिव ललित मोहन रयाल के हस्ताक्षर से जारी आदेश में निम्नलिखित बिंदुओं को स्पष्ट किया गया है:
अब अनिवार्य स्थानांतरण की अधिकतम सीमा समाप्त
विभागों को अब अपने-अपने संवर्ग में वार्षिक स्थानांतरण अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के अनुसार स्थानांतरण करने की पूरी स्वतंत्रता होगी। पात्रता सूची में शामिल कार्मिकों के अनिवार्य स्थानांतरण की अधिकतम सीमा अब समाप्त कर दी गई है।
दुर्गम से सुगम और सुगम से दुर्गम में बराबर संख्या में होंगे स्थानांतरण
स्थानांतरण से पहले प्रतिस्थानी की व्यवस्था अनिवार्य होगी। कोई भी कार्मिक तब तक कार्यमुक्त नहीं किया जाएगा जब तक उसका प्रतिस्थानी कार्यभार ग्रहण करने हेतु कार्यस्थल पर उपस्थित न हो। इसका उद्देश्य दुर्गम और सुगम क्षेत्रों में कर्मचारियों की संतुलित उपस्थिति सुनिश्चित करना है।
एकल अभिभावकों एवं बलिदानी परिवारों को बड़ी राहत
एकल अभिभावक (विधवा/विधुर) तथा शहीदों/बलिदानियों की विधवाओं को अनिवार्य स्थानांतरण या पदोन्नति के फलस्वरूप दुर्गम क्षेत्रों में तैनाती से छूट प्रदान की जाएगी।
दाम्पत्य नीति में होगा संतुलन
पति-पत्नी दोनों यदि सरकारी सेवा में हैं, तो उनके स्थानांतरण करते समय वरिष्ठता, वेतनमान, दुर्गम क्षेत्रों में की गई सेवा, एवं रिक्तियों की उपलब्धता का ध्यान रखा जाएगा।
अनुरोध पर किए गए स्थानांतरणों पर नहीं मिलेगा भत्ता
स्वेच्छा या अनुरोध के आधार पर किए गए स्थानांतरणों पर स्थानांतरण भत्ता देय नहीं होगा।
