2016 में दिए गए चेक के बाउंस होने पर दर्ज हुआ था मामला, 9 वर्षों बाद आया फैसला
हल्द्वानी, 3 जुलाई 2025: अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, हल्द्वानी (जनपद नैनीताल) की अदालत ने भारतीय परक्राम्य लिखत अधिनियम 1881 की धारा 138 के अंतर्गत दर्ज एक चेक बाउंस मामले में अभियुक्त को दोषी करार देते हुए एक वर्ष की सश्रम कारावास और ₹10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है।
प्रकरण के अनुसार, शिकायतकर्ता ने न्यायालय में यह आरोप लगाया था कि उन्होंने जुलाई 2016 में अभियुक्त को ₹7,70,000 रुपये की राशि व्यवसायिक कार्य के लिए उधार दी थी। इसके बदले में अभियुक्त ने 29 सितंबर 2016 को ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, हल्द्वानी शाखा का एक चेक संख्या 269038 प्रदान किया, जो बैंक में प्रस्तुत करने पर “पर्याप्त धनराशि नहीं होने” (Fund Insufficient) के कारण अस्वीकृत हो गया। इस मामले में शिकायतकर्ता की ओर से प्रभावशाली कानूनी पैरवी अधिवक्ता राजन सिंह मेहरा द्वारा की गई, जिनकी सटीक दलीलों के आधार पर न्यायालय ने अभियुक्त को दोषी करार दिया।
शिकायतकर्ता द्वारा भेजे गए विधिवत नोटिस, बैंक अभिलेख और अन्य दस्तावेज़ों के आधार पर न्यायालय ने अभियुक्त को दोषी माना। अभियुक्त ने चेक देने की बात स्वीकार की, लेकिन यह दलील दी कि उसने कोई अपराध नहीं किया है। न्यायालय ने उसकी सफाई को असंगत और अस्वीकार्य मानते हुए दोष सिद्ध किया।
