जाम और वीआईपी मूवमेंट पर उत्तराखंड क्रांति दल के कुमाऊं मण्डल प्रभारी भुवन चंद्र जोशी की दो टूक
हल्द्वानी | उत्तराखंड राज्य और उस राज्य में रहने वाले लोगों का जीवन पहले से ही दूभर हो रहा है। उसके बाद वीआईपी मूवमेंट जो की जले में नमक छिड़कने जैसा है। उत्तराखंड राज्य के लोगों ने जिस उत्तराखंड राज्य की कल्पना की थी। वह तो बहुत दूर की बात है लेकिन जिस तरीके से हल्द्वानी से पर्वतीय क्षेत्र को जाने वाले लोगों को पिछले कई महीनो से जिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उसके कारण उनका जीवन सामान्य जीवन से दुरह जीवन में बदल गया है।
अब इसके बाद पर्वतीय क्षेत्र को जाने वाले और वहां से आने वाले लोगों को वीआईपी मूवमेंट के तहत रूट डायवर्सन किया जा रहा है जो की बहुत गलत है। जिसके कारण रोजमर्रा की जिंदगी दूभर होने लगी है। वीआईपी लोग उत्तराखंड में आते क्यों हैं। पहला सवाल उनके आने से उत्तराखंड के लोगों को क्या फायदा दूसरा सवाल मैंने बहुत बार देखा है।
जब उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी हल्द्वानी या आसपास के क्षेत्र में आते हैं तो स्थानीय लोगों का जीवन अत्यंत कठिन हो जाता है। क्या यह दूसरे ग्रह के मानव हैं, जिनके आने से सामान्य जीवन दोयम दर्जे का जीवन कैसे हो जाता है। यह बहुत सोचनीय विषय है। उत्तराखंड राज्य 42 लोगों द्वारा अपनी जान गवाने के बाद बना है। जिसका मूल उद्देश्य तो आज खत्म हो गया है बाकी बचे हुए उत्तराखंड के लोगों का जीवन वीआईपी मूवमेंट और जाम से समापन की ओर जा रहा है।
जिस राज्य की 24 साल तक यहां के जनप्रतिनिधि व्यवस्था नहीं बना पाए उस राज्य के आगे के हालात किस तरीके के होंगे यह एक गंभीर विषय है और इस पर मनन करने की आवश्यकता है। उत्तराखंड क्रांति दल मांग करता है कि उत्तराखंड के लोगों को सरकार और प्रशासन अपनी प्रयोगशाला ना बनाए, वीआईपी लोग यहां पर ना ही आए तो अच्छा है आएं तो सामान्य व्यक्ति बनकर आए जिससे यहां के लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़ा।