महिला एकता मंच द्वारा अंबेडकर विचार गोष्ठी, महिलाओं ने उठाए समकालीन सवाल
डा. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर महिला एकता मंच द्वारा मालधन पंचायत भवन में डा. अंबेडकर के विचारों की प्रासंगिकता आज के दौर में विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
गोष्ठी में समाजवादी लोक मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने कहा कि कानून मंत्री रहते हुए अंबेडकर ने संसद में हिंदुओं में वहु पत्नी प्रथा की समाप्ति, सामाजिक न्याय, महिलाओं को बराबरी का उत्तराधिकार आदि को लेकर हिंदू कोड बिल प्रस्तुत किया था। हिंदूवादी संगठनों के विरोध व कांग्रेस के कारण ये बिल लोकसभा से पास नहीं हो पाया था। इस पर अंबेडकर ने अपने विचारों पर अडिग रहे और उन्होंने 1951 में कानून मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था।
उन्होंने कहा कि आज स्वयं को अंबेडकर के उत्तराधिकारी बताकर बहुजन समाज की राजनीति करने वाले वाले दल अंबेडकर की विरासत को आगे बढ़ाने की सांप्रदायिक भाजपा और कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ गये हैं। उन्होंने कुर्सी के लिए अंबेडकर के विचारों को ताक पर रख दिया है। ये दल जातिवाद के समूल नाश के लिए काम करने की जगह एससी, एसटी वर्ग को अपने वोट बैंक के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। जनता को इनसे सचेत रहने की जरूरत है।
विनीता टम्टा ने कहा कि अंबेडकर ने कहा था कि मैं किसी भी समुदाय की प्रगति के स्तर से मापता हूं। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में महिलाओं की स्थिति लगातार बदतर बनी हुई है। देश में महिलाओं का लिंगानुपात कम बना हुआ है। नैनीताल जिले में लिंगानुपात वर्ष 2019 में प्रति एक हजार पैदा हुए लड़कों के मुकाबले लड़कियों की संख्या 940 थी जो 2024 में घटकर 898 रह गई है। उन्होंने कहा कि हमारा देश महिलाओं के लिए दुनिया के सबसे असुरक्षित देशों में शामिल हो गया है,।
भगवती आर्य ने कहा कि भाजपा सरकार का महिला सशक्तिकरण व बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का का नारा जुमला बनकर रह गया है।
कौशल्या ने कहा कि आज भी समाज में जाति, धर्म लिंग व अमीरी गरीबी के बीच का भेद भाव मौजूद है। इसे दूर करने के लिए अंबेडकर के नारे शिक्षित बनो, संगठित हो और संघर्ष करो से प्रेरणा लेकर समाज को जागरूक करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में महिलाओं ने जनगीत भी प्रस्तुत किये। संचालन सरस्वती जोशी ने किया। गोष्ठी में आनन्दी, पूर्व ग्राम प्रधान रजनी तेवतिया, शिल्पी, पुष्पा, नीमा, पिंकी, माया, सूरज, सरिता आदि ने भी विचार व्यक्त किए।
