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30 साल के इंतजार के बाद मिला न्याय

राज्य आंदोलनकारियों ने किया संतोष व्यक्त, अन्य लंबित मामलों को लेकर भी उम्मीद जगी

आज 18 मार्च २०२४ का दिन उत्तराखंड में शहीद हुए आंदोलनकारियो और दुष्कर्म का शिकार हुई महिलाओ के लिए इतिहासिक दिन है रामपुर तिराहा कांड में दोषी पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने पर राज्य आंदोलनकारियों ने संतोष व्यक्त किया है। उनका कहना है कि लंबे समय से न्याय का इंतजार कर रहे पीड़ितों और उनके स्वजन को अदालत के निर्णय से बड़ी राहत मिली है। वहीं, अन्य लंबित मामलों को लेकर भी उम्मीद जगी है। अदालत ने दोनों दोषियों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। अर्थदंड की संपूर्ण धनराशि बतौर प्रतिकर पीड़िता को दी जाएगी।

रामपुर तिराहे पर उत्तराखण्ड के अलग राज्य की प्राप्ति के लिए आन्दोलन कर रहे नौजवानों और माता-बहनों के साथ क्रूरता पूर्वक बर्ताव किया गया। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना थी। राज्य आन्दोलनकारियों के द्वारा किये गये संघंर्षों के परिणामस्वरूप हमें उत्तराखण्ड अलग राज्य मिला।
अदालत ने पीएसी के सिपाही रहे दोषी मिलाप सिंह और वीरेंद्र प्रताप सिंह को धारा 376 (2) (जी) में आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। धारा 392 में सात साल का कठोर कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड, छेड़छाड़ की धारा 354 में दो साल कारावास और 10 हजार रुपये अर्थदंड और धारा 509 में एक साल का कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई। दोनों दोषियों पर कुल अर्थदंड एक लाख रुपये लगाया गया है।


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