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छात्रवृत्ति घोटाला: उत्तराखंड के 17 संस्थानों पर गिरी गाज, 91 लाख की अनियमितता उजागर

1058 फर्जी लाभार्थियों के नाम पर बांटी गई छात्रवृत्तियां, सरकार FIR की तैयारी में

देहरादून। राज्य सरकार को केंद्र प्रायोजित अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं की पुष्टि हुई है। जिला प्रशासन की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि उत्तराखंड के 92 संस्थानों में से 17 शिक्षण संस्थानों ने 1058 फर्जी छात्रों के नाम पर करीब 91 लाख रुपये की छात्रवृत्ति गबन की है। शासन अब इन संस्थानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी कर रहा है।

इस पूरे मामले की जड़ तब सामने आई जब केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल (NSP) का विश्लेषण करते हुए कुछ संस्थानों को संदिग्ध बताया। इसके बाद उत्तराखंड शासन ने राज्यभर के 92 संस्थानों और स्कूलों की जांच के आदेश जारी किए थे। जिला प्रशासन को एसडीएम की अध्यक्षता में जांच कमेटियां गठित कर रिपोर्ट सौंपने को कहा गया।

जांच रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक गड़बड़ी हरिद्वार जिले के सात संस्थानों में पाई गई। इसके अलावा ऊधमसिंह नगर के छह, और नैनीताल व रुद्रप्रयाग के दो-दो संस्थान भी संदेह के घेरे में हैं। हैरानी की बात यह है कि कुछ स्कूलों और कॉलेजों में तो छात्र नाम मात्र के थे, फिर भी भारी संख्या में छात्रवृत्तियां जारी की गईं।

जांच में पाया गया कि कुछ संस्थानों ने मृत या निष्क्रिय छात्रों के नाम पर आवेदन किए, तो कुछ ने फर्जी नाम और दस्तावेजों के सहारे छात्रवृत्ति हड़प ली। इन छात्रों का कोई वास्तविक रिकॉर्ड संबंधित स्कूलों में मौजूद नहीं था।

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सचिव धीराज गर्ब्याल ने पुष्टि की है कि जांच रिपोर्ट शासन को प्राप्त हो गई है और इसे आगे केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है। उन्होंने बताया कि दोषी संस्थानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, साथ ही भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए सख्त निगरानी व्यवस्था तैयार की जाएगी।


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