देहरादून स्कूल विवाद: जब छात्र फेल नहीं थे, तो क्यों रोका प्रमोशन?
दोबारा परीक्षा कराना मानसिक उत्पीड़न जैसा – अधिकारी
देहरादून। डालनवाला स्थित समरवैली स्कूल में 11वीं कक्षा के 37 विद्यार्थियों को फेल किए जाने के मामले में नया मोड़ आया है। शिक्षा विभाग द्वारा कराई गई पुनः परीक्षा में इन छात्रों में से 30 सफल हो गए हैं, जबकि एक छात्र अनुत्तीर्ण रहा और छह छात्र परीक्षा में उपस्थित नहीं हुए।
अब उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग और शिक्षा विभाग के निर्देशों के तहत स्कूल प्रबंधन को इन 30 उत्तीर्ण छात्रों को 12वीं कक्षा में प्रमोट करने का आदेश दिया गया है। यदि कोई छात्र किसी अन्य विद्यालय में स्थानांतरण चाहता है, तो स्कूल को तत्काल ट्रांसफर सर्टिफिकेट (TC) देने के निर्देश भी दिए गए हैं।
घटना की शुरुआत तब हुई जब कक्षा 11 की परीक्षा में बड़ी संख्या में छात्रों को फेल कर दिया गया। इस पर अभिभावकों ने आरोप लगाया कि स्कूल ने जानबूझकर छात्रों को अनुचित रूप से फेल किया है। उन्होंने उत्तराखंड बाल आयोग से शिकायत की, जिसके बाद आयोग ने मामले का संज्ञान लेते हुए शिक्षा विभाग को जांच और पुनः परीक्षा कराने के निर्देश दिए।
शिक्षा विभाग ने 26 से 29 मई तक गोवर्धन विद्या मंदिर, धर्मपुर में छात्रों की पुनः परीक्षा आयोजित कराई, जिसमें आयोग की निगरानी में परीक्षा प्रक्रिया पूरी हुई। पुनः परीक्षा में अधिकांश छात्रों के उत्तीर्ण हो जाने से यह स्पष्ट हो गया कि मूल परीक्षा में मूल्यांकन में त्रुटि या अन्य अनियमितता संभव रही है।
इस बीच, सीआईएससीई बोर्ड (नई दिल्ली) से 5 जून को जारी एक पत्र के आधार पर स्कूल ने 16 जून को एक और परीक्षा कराने की बात कही है, जिसकी सूचना छात्रों को 9 जून को दी गई। हालांकि, शिक्षा विभाग और आयोग ने स्पष्ट किया है कि पुनः परीक्षा पहले ही संपन्न हो चुकी है और अब छात्रों को दोबारा परीक्षा देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
मुख्य शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार ढौंडियाल ने स्कूल की इस घोषणा पर आपत्ति जताते हुए कहा कि छात्रों को एक ही कक्षा की तीन बार परीक्षा देने से उनकी पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि स्कूल आयोग के निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो प्रबंधन के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
