देहरादून: यूसीसी और रजिस्ट्री को पेपरलैस किए जाने के विरोध में अधिवक्ताओं की हड़ताल, सरकार को चेतावनी
देवभूमि जन हुंकार समाचार। उत्तराखंड में प्रदेश सरकार द्वारा रजिस्ट्री और यूसीसी (यूनिफाइड कंसोलिडेटेड कलेक्शन) प्रक्रियाओं को पूरी तरह से डिजिटल करने के फैसले के विरोध में शुक्रवार को राज्यभर के अधिवक्ता हड़ताल पर रहेंगे। बार एसोसिएशन के आह्वान पर इस हड़ताल में न्यायालयों में कोई भी कार्य नहीं होगा और यह आंदोलन व्यापक रूप से फैलने की संभावना है। अधिवक्ता इस फैसले को लेकर गहरी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं और वे इस कदम के खिलाफ आक्रोश रैली निकालकर सरकार के खिलाफ अपना विरोध जताएंगे।
बार एसोसिएशन के निवर्तमान अध्यक्ष राजीव शर्मा ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा रजिस्ट्री और यूसीसी को पूरी तरह से डिजिटल करने का निर्णय लिया गया है, जिसका प्रदेशभर के अधिवक्ताओं ने विरोध किया है। उनका कहना है कि इस फैसले से उनकी आजीविका पर सीधा असर पड़ेगा, क्योंकि अब तक इन प्रक्रियाओं से जुड़े कार्यों में अधिवक्ताओं का सक्रिय भाग होता था। यदि यह प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल हो जाती है, तो इससे उनकी रोजी-रोटी पर संकट आ सकता है।
अधिवक्ताओं के विरोध को और तीव्र करने के लिए शुक्रवार दोपहर 12 बजे विधि भवन से एक आक्रोश रैली निकाली जाएगी, जो जिलाधिकारी कार्यालय तक पहुंचेगी। इस रैली में भाग लेने वाले सभी अधिवक्ता मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपेंगे, जिसमें इस फैसले को वापस लेने की मांग की जाएगी।
हड़ताल के चलते शुक्रवार को न्यायालयों में बस्ते, टाइपिंग, स्टांप वेंडर समेत सभी संबंधित कार्य ठप रहेंगे। अधिवक्ताओं ने स्पष्ट रूप से यह चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनके विरोध और मांगों को गंभीरता से नहीं लेती है और इस फैसले को वापस नहीं लेती है, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
अधिवक्ताओं का कहना है कि डिजिटल प्रक्रिया के तहत कामकाज होने से उनके पेशे पर न केवल संकट आएगा, बल्कि इससे संबंधित अन्य व्यवसाय भी प्रभावित होंगे। उनका आरोप है कि यह निर्णय बिना किसी व्यापक विचार-विमर्श के लिया गया है, जिससे एक समृद्ध और लंबे समय से स्थापित पेशेवर प्रणाली में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
अधिवक्ताओं ने इस फैसले को वापस लेने की मांग की है और कहा है कि यदि सरकार ने उनकी मांगों पर विचार नहीं किया तो वे इसे एक बड़ा आंदोलन बनाने की तैयारी में हैं। यह हड़ताल सिर्फ एक शुरुआत है, और यदि उनकी आवाज़ को अनसुना किया गया, तो राज्यभर में आंदोलन और तेज हो सकता है।
