होली के रंगों में रंगी फूलदेई: नवाबी रोड पर बच्चों का उल्लास
उत्तराखंड के पारंपरिक त्योहारों में से एक प्रमुख पर्व, फूलदेई, इस बार होली के रंगों में रंगा नजर आया। नवाबी रोड में आज सुबह से ही बच्चे अपने घरों से निकलकर फूलदेई मनाने के लिए बस्तियों में घूमते नजर आए। हाथों में थाली लिए हुए, जिसमें फूल, बताशे, गुड़ और चावल रखे थे, बच्चे एक घर से दूसरे घर तक गीत गाते और शोर मचाते हुए पहुंचे।
पारंपरिक गीत “फूलदेई छम्मा देई, जो भी दिया वही सही, देंण द्वार भर भकार, य देई कैं बार बार नमस्कार” गाते हुए बच्चों ने इस पर्व का आनंद लिया। फूलदेई पर्व खास तौर पर उत्तराखंड के गांवों में मनाया जाता है, जो प्रकृति और मनुष्य के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है। इस दिन बच्चे अपने घर से सबसे पहले घर के देवता की पूजा करते हैं और फिर आस-पास के घरों में फूलदेई की शुभकामनाओं के साथ जाते हैं। यह फूलदेई का पर्व इस बार और भी खास था क्योंकि इसे होली के शुभ अवसर पर बड़े उल्लास के साथ मनाया गया।
गौरीशंकर कांडपाल, एक संस्कृतिकर्मी ने बताया कि फूलदेई उत्तराखंड की पारंपरिक विरासत को सहेजने और नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने का एक अवसर है। वे कहते हैं, “यह पर्व न सिर्फ उत्तराखंड की संस्कृति को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि बच्चों को भी अपनी जड़ों से जोड़ने का एक तरीका है।”
फूलदेई की इस खास परंपरा में, जब बच्चे किसी घर में पहुंचते हैं, तो घर की महिलाएं और बुजुर्ग उन्हें शुभ-आशीर्वाद देते हुए गुड़, बताशे, चावल और अन्य भेंट प्रदान करते हैं। इस तरह, यह पर्व पूरे उत्तराखंड में खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता है, और लोगों के बीच भाईचारे और प्रेम की भावना को मजबूत करता है।
इस साल का फूलदेई त्योहार न सिर्फ उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में, बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी अपने पारंपरिक रंगों के साथ मनाया गया, और बच्चों ने इस अवसर पर अपने पुराने सांस्कृतिक रिवाजों को बड़े गर्व और उल्लास के साथ निभाया।
