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2025 का पहला सूर्य ग्रहण: ज्योतिषीय, धार्मिक और खगोलीय दृष्टिकोण से महत्व, सूतक काल और सूर्य ग्रहण के दौरान किए जाने वाले कार्य

साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण आज, 29 मार्च को लग रहा है, जो कि शनिवार के दिन चैत्र अमावस्या पर्व के साथ समंवित है। इस दिन के महत्व को ज्योतिष शास्त्र में विशेष स्थान प्राप्त है। इस ग्रहण के साथ-साथ शनिचरी अमावस्या और शनि का मीन राशि में गोचर भी हो रहा है, जो इस दिन को और भी महत्वपूर्ण बना रहा है। जहां तक ​​विज्ञान की बात है, सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है, लेकिन इसका धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है, विशेष रूप से राहु और केतु के प्रभाव के कारण।

सूर्य ग्रहण का समय और सूतक काल

भारतीय समयानुसार यह सूर्य ग्रहण दोपहर 2:20 बजे शुरू होगा और शाम 6:13 बजे समाप्त होगा। ग्रहण के दौरान, इसका चरम समय शाम 4:17 बजे होगा। सूर्य ग्रहण का कुल अवधि लगभग 3 घंटे 53 मिनट रहेगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले शुरू हो जाता है, अर्थात इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल सुबह 2:20 बजे से ही प्रारंभ हो जाएगा। हालांकि, भारत में यह सूर्य ग्रहण दिखाई नहीं देगा, इसलिये यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा, और इस दौरान कोई शुभ कार्य नहीं रुकेंगे।

सूर्य ग्रहण का धार्मिक महत्व

हिंदू धर्म के अनुसार, सूर्य ग्रहण के समय एक विशेष धार्मिक मान्यता है, जो राहु और केतु से जुड़ी हुई है। सागर मंथन के दौरान एक राक्षस ने छल से अमृत पान किया था, जिसे बाद में सूर्य और चंद्रमा ने पहचान लिया और भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट डाला। इस राक्षस के सिर को राहु और धड़ को केतु माना गया, जो नक्षत्र मंडल में पाप और छाया ग्रहों के रूप में स्थापित हुए। ये दोनों ग्रह हर साल सूर्य और चंद्रमा को ग्रसने की कोशिश करते हैं, जिससे सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण की घटनाएं होती हैं।

सूर्य ग्रहण कहां दिखाई देगा?

यह आंशिक सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, यूरोप, एशिया, अफ्रीका, अटलांटिक महासागर और आर्कटिक महासागर के क्षेत्रों में दिखाई देगा। विशेषकर उत्तरी अमेरिका में यह पूरी तरह से देखा जा सकेगा।

सूतक काल में क्या करें और क्या न करें

भारत में सूतक काल मान्य नहीं होने के बावजूद, यदि कहीं पर सूतक काल होता है, तो इस दौरान कई धार्मिक निर्देशों का पालन किया जाता है। सूतक काल के दौरान कोई भी शुभ कार्य जैसे भोजन बनाना, खाना, सोना, स्नान करना, दान करना, या सूर्य को नंगी आँखों से देखना, इन सब पर रोक होती है। खासकर गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर जाने से रोका जाता है और उन्हें नुकीली वस्तुएं जैसे चाकू का उपयोग न करने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा, मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।

सूर्य ग्रहण के समाप्त होने के बाद, मंदिरों की सफाई की जाती है, श्रद्धालु स्नान करते हैं, शुद्ध कपड़े पहनते हैं और भगवान की मूर्तियों का स्नान कर पूजा अर्चना करते हैं। इस समय दान और दक्षिणा देने की भी परंपरा होती है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष

सूर्य ग्रहण एक विशेष खगोलीय घटना है, जिसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व दोनों है। यह दिन एक विशेष अवसर होता है, जब हमें आध्यात्मिक उन्नति के लिए अच्छे कर्म करने और पूजा अर्चना करने की आवश्यकता होती है। सूर्य ग्रहण से जुड़े विशेष कार्यों और मान्यताओं का पालन करते हुए इस दिन को शांति और समृद्धि के साथ बिताना चाहिए।


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