कोर्ट ने ₹2.10 लाख का जुर्माना लगाया
हल्द्वानी : Negotiable Instruments Act की धारा 138 के अंतर्गत न्यायालय द्वारा एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाते हुए आरोपी को ₹2.10 लाख के जुर्माने से दंडित किया है। जुर्माना अदा न करने की स्थिति में आरोपी को छह माह के साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी।
यह मामला वर्ष 2020 से जुड़ा है, जब परिवादी ने पूर्व परिचित और विश्वास के आधार पर आरोपी को ₹4 लाख की नकद राशि उधार दी थी। जब बार-बार तकाजे के बाद भी भुगतान नहीं हुआ, तो आरोपी ने परिवादी को ₹2 लाख-₹2 लाख के दो चेक दिए, जिनमें से एक चेक दिनांक 08.11.2021 को बाउंस हो गया।
परिवादी की ओर से इस पूरे मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता श्री अनिल कुमार कन्नौजिया ने न्यायालय के समक्ष चेक, बैंक स्लिप, विधिक नोटिस व उसकी तामीली से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत किए। अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आरोपी जानबूझकर रकम लौटाने से बच रहा है और चेक उसी आशय से दिया गया था।
वहीं, आरोपी के अधिवक्ता ने यह दावा किया कि उनके मुवक्किल ने केवल ₹20,000 उधार लिए थे और वह राशि उन्होंने नकद और ऑनलाइन चुका दी थी। उन्होंने यह भी कहा कि दिया गया चेक सिर्फ सुरक्षा के तौर पर था। हालांकि, अदालत ने यह तर्क अस्वीकार करते हुए परक्राम्य लिखत अधिनियम की धारा 139 और 118 के तहत चेक को वैध ऋण चुकाने का प्रमाण माना।
निर्णय में कहा गया कि आरोपी द्वारा चेक के माध्यम से की गई जिम्मेदारी से इनकार नहीं किया जा सकता और उसे ₹2 लाख परिवादी को प्रतिकर के रूप में तथा ₹10,000 राज्य को जुर्माने के रूप में देना होगा।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि आरोपी यह रकम समय पर अदा नहीं करता है, तो उसे छह माह की साधारण कैद भुगतनी होगी।
