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एनआई एक्ट केस में पहली सुनवाई में ही अभियुक्त बरी | जानिए क्या था मामला

₹2.29 लाख का चेक बाउंस हुआ, लेकिन कोर्ट ने आरोपी को क्यों छोड़ा? | पूरी कहानी

हल्द्वानी के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में चल रहे एक चेक बाउंस प्रकरण में न्यायालय ने अभियुक्त पूजा बिष्ट को प्रारंभिक स्तर पर दोषमुक्त कर दिया है। मामले के अनुसार, मो. कैफ का पूजा बिष्ट और उसके पति से व्यावसायिक व व्यक्तिगत परिचय था। इसी आधार पर मो. कैफ ने पूजा बिष्ट को ₹3,29,000 की आर्थिक सहायता उधार दी थी, जिसके आंशिक भुगतान के लिए पूजा बिष्ट ने ₹2,29,000 का एक चेक दिनांक 24 अप्रैल 2024 को हल्द्वानी में मो. कैफ को सौंपा। चेक को बैंक में प्रस्तुत किए जाने पर वह अस्वीकृत (बाउंस) हो गया।

इस पर मो. कैफ द्वारा एनआई एक्ट के अंतर्गत अदालत में परिवाद दर्ज किया गया। अदालत ने बीएनएसएस 2023 के तहत अभियुक्त को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। सुनवाई के दौरान अभियुक्त पूजा बिष्ट की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों के अनुसार, चेक सौंपने की तिथि पर वह “मोहन सिंह मेहता सामुदायिक केंद्र, बैजनाथ, जिला बागेश्वर” में भर्ती थी। साथ ही, चेक पर किए गए हस्ताक्षर भी फर्जी पाए गए। प्रमाण के तौर पर अस्पताल में भर्ती होने के दस्तावेज़ और बैंक में मौजूद हस्ताक्षरों की प्रमाणित प्रति न्यायालय को प्रस्तुत की गई।

दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात न्यायालय ने पाया कि परिवादी का कथानक न केवल संदेहास्पद है, बल्कि उसके द्वारा प्रस्तुत किए गए हस्ताक्षर अभियुक्त के वास्तविक हस्ताक्षरों से मेल भी नहीं खाते हैं। अतः बीएनएसएस 2023 की धारा 226 के अंतर्गत न्यायालय ने अभियुक्त पूजा बिष्ट के विरुद्ध पर्याप्त आधार न पाते हुए परिवाद को प्रारंभिक स्तर पर ही खारिज कर दिया। अभियुक्त की ओर से इस मामले में अधिवक्ता श्री पंकज बिष्ट और श्री रोहन कपकोटी ने प्रभावी पैरवी की।


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