Spread the love

डिग्री नहीं, जिम्मेदारी नहीं — फिर भी इलाज! झोलाछापों के हवाले…

जिंदगी से खिलवाड़: किच्छा में झोलाछाप डॉक्टर बना मौत का कारण

युवक की मौत, परिजन बोले— गलत इंजेक्शन बना जानलेवा

किच्छा, 16 जून। पेट दर्द की शिकायत पर एक झोलाछाप चिकित्सक से इलाज कराने गए युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतक के परिजनों ने आरोप लगाया है कि झोलाछाप ने युवक को गलत इंजेक्शन लगाया, जिससे उसकी जान चली गई। मामले में पुलिस ने आरोपी को हिरासत में ले लिया है और शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। घटना ने जिले में सक्रिय अवैध चिकित्सकों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।

मृतक की पहचान 32 वर्षीय महेश कश्यप पुत्र मंगल सेन के रूप में हुई है, जो लक्ष्मीनगर वार्ड 2, किच्छा का निवासी था। वह रुद्रपुर के सिडकुल क्षेत्र में नौकरी कर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। रविवार सुबह अचानक उसके पेट में तेज दर्द उठा, जिसके बाद वह पास के एक तथाकथित डॉक्टर से इलाज कराने गया।

परिजनों के अनुसार, उक्त झोलाछाप ने महेश को दो बोतल ग्लूकोज चढ़ाई और एक इंजेक्शन लगाया, साथ ही कुछ दवाइयां दीं। शाम को जब दर्द दोबारा बढ़ा तो महेश फिर उसी के पास गया। आरोप है कि इस बार भी उसे एक और इंजेक्शन देकर घर भेज दिया गया। लेकिन रात में अचानक उसकी हालत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई।

परिजनों का कहना है कि यदि समय पर सही इलाज मिलता, तो महेश की जान बच सकती थी। उन्होंने झोलाछाप चिकित्सक पर जानलेवा लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस से कार्रवाई की मांग की है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए परिजनों ने किच्छा कोतवाली में आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। आज़ाद नगर चौकी इंचार्ज हेमचंद्र तिवारी ने बताया कि परिजनों की तहरीर के आधार पर आरोपी को हिरासत में ले लिया गया है। मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और रिपोर्ट के बाद ही मृत्यु का वास्तविक कारण स्पष्ट हो पाएगा।

उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में वर्षों से झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है, खासकर ग्रामीण और कस्बाई क्षेत्रों में। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बार-बार अभियान चलाने की बात कही जाती है, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। ऐसे अवैध डॉक्टर बिना किसी मेडिकल डिग्री या पंजीकरण के गंभीर बीमारियों का इलाज करते हैं, जिससे कई बार जान भी चली जाती है।

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और ठोस कार्यवाही की कमी इन झोलाछापों को खुलेआम काम करने का मौका देती है। किच्छा की यह घटना इस बात का ताजा उदाहरण है कि आम लोगों की जान कितनी सस्ती हो गई है।

चिकित्सा सेवा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में इस तरह की लापरवाहियों पर सरकार की तत्काल कार्यवाही और निगरानी तंत्र की जरूरत है। लेकिन ना तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया दी है, और ना ही स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है।


Spread the love