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पछास ने याद किया शहीदे-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु व अवतार सिंह संधू को

आजादी दिलाने वाले नामों को भूलता जा रहा है समाज

आजादी के लिए चढ़ गए थे फासी पर शहीदे-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु व अवतार सिंह संधू ‘पाश’

परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) की हल्द्वानी इकाई के साथियों ने आज शहीदे-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु व अवतार सिंह संधू ‘पाश’ की शहादत दिवस पर एमबीपीजी कॉलेज के सामने डीडी पंत पार्क पर श्रद्धांजलि सभा व परिचर्चा का कार्यक्रम किया।

इस दौरान साथियों ने कहा कि भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु की शहादत को 93 वर्ष बीत गए हैं। 23 मार्च 1931 को जालिम ब्रिटिश साम्राज्यवादियों ने इन क्रांतिकारियों को फांसी पर चढ़ाया था। आज ही के दिन क्रांतिकारी कवि अवतार सिंह संधू पास का भी शहादत दिवस है। यह सभी क्रांतिकारी देश के अंदर ब्रिटिश साम्राज्यवादियों-पूंजीपतियों के लूट, शोषण-उत्पीड़न, दमन के खिलाफ एक बराबरी का समाज बनाना चाहते थे। इन शहीदों के शहादत के इतने वर्षों बाद भी उनके सपनों का भारत बनाना अभी बाकी है।

आज भी देसी विदेशी साम्राज्यवादी-पूंजीपतियों की लूट जारी है। शोषण-उत्पीड़न अन्य दमन बदस्तूर जारी है। परिचर्चा में आगे कहा कि शिक्षा लगातार महंगी होती जा रही है। सरकारी कॉलेज-संस्थान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बजाय केवल सर्टिफिकेट बांटने के अड्डे पर बनते जा रहे हैं। इन संस्थाओं से किस तरह के छात्र तैयार होंगे यह हम खुद समझ सकते हैं। शिक्षा में प्रगतिशील विचारों की जगह इतिहास का महिमामंडन किया जा रहा है। बेरोजगारी पिछले 40-45 सालों में अपने सबसे ऊंचे दौर में है। छात्र-नौजवान डिग्रियां लेकर नौकरी के लिए भटकने को मजबूर हैं। इसी तरह के हालात मजदूरों-किसानों के भी हैं। समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। महिलाओं के साथ में गैरबराबरी का व्यवहार आज भी जारी है।

सामाजिक तौर पर समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। महंगाई, गरीबी से लोग बदहाल हैं। ऐसे में इन शहीदों के विचारों को आज पहले से अधिक जानने, समझने की जरूरत है। ताकि समाज में इन शहीदों के विचारों पर शोषण विहीन समाज बनाया जा सके। कार्यक्रम में महेश, चंदन, हेमा, रूपाली और विपिन सहित अन्य साथी मौजूद थे।


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