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पोषक तत्वों से भरपूर बुरांश का फूल: हिमालयी औषधि का खजाना

प्रस्तुति: प्रताप सिंह नेगी

उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में फरवरी से अप्रैल के बीच खिलने वाला बुरांश का फूल न सिर्फ अपनी सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह फूल उत्तराखंड के अलावा हिमाचल, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड जैसे देशों के हिमालयी क्षेत्रों में भी पाया जाता है। बुरांश के फूल में आयरन, कैल्शियम, जिंक, कॉपर, विटामिन सी जैसे कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं। इसके साथ ही इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स, एंटी डायबिटिक और एंटी बैक्टीरियल गुण भी पाए जाते हैं, जिसके चलते इसे आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक दवाओं में प्रयोग किया जाता है।

बुरांश का जूस बनाने की प्रक्रिया भी बेहद आसान है। सबसे पहले फूलों को तोड़कर पानी से अच्छे से साफ किया जाता है। फिर इन फूलों को किसी भगोने में 10 से 15 मिनट तक पकाया जाता है। पकने के बाद इन्हें थोड़ा ठंडा कर छन्नी या सूती कपड़े से छानकर रस निकाला जाता है। इस रस में स्वादानुसार चीनी मिलाकर जूस तैयार किया जाता है, जो न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि अत्यंत पौष्टिक भी होता है।

बुरांश के जूस के नियमित सेवन से शरीर को कई लाभ मिलते हैं। यह हड्डियों और दांतों को मजबूत बनाता है, शरीर के घाव जल्दी भरने में मदद करता है, संक्रमण से बचाता है, और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है। साथ ही यह त्वचा, लिवर, शुगर और कैंसर जैसी बीमारियों की रोकथाम में भी सहायक है। बुरांश का फूल वास्तव में पहाड़ों की प्राकृतिक औषधि है, जिसे अपने जीवन में शामिल करके कई स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं।


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