केंद्रीय बजट में उत्तराखंड की उपेक्षा पर उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी का विरोध
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (UPP) के केंद्रीय अध्यक्ष, पी सी तिवारी ने आज पेश किए गए केंद्रीय बजट पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पार्टी का कहना है कि यह बजट न तो जनहित को प्राथमिकता देने वाला है और न ही दूरदर्शी निर्णयों का परिणाम है, बल्कि यह आर्थिक विवशताओं और राजनीतिक मजबूरियों का नतीजा प्रतीत होता है।
मध्यवर्ग को राहत नहीं, बल्कि मजबूरी में कर छूट
पार्टी ने आरोप लगाया कि सरकार ने मध्यवर्ग की तीखी आलोचनाओं के बाद आयकर में छूट का ऐलान तो किया, लेकिन यह कदम किसी सहानुभूति से नहीं, बल्कि सरकार की आर्थिक मजबूरी के कारण उठाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि देश गंभीर आर्थिक संकट की ओर बढ़ रहा है, जहां उपभोक्ता खर्च घट रहा है और महंगाई ऊंचे स्तर पर है।
कर छूट में असमान नीति
बजट में सरकार की कर छूट नीति को भी भेदभावपूर्ण बताया गया है। सरकार ने 12 लाख रुपये तक की आय वालों को कर छूट दी है, जबकि 12 लाख से अधिक आय वालों को केवल 4 लाख रुपये तक ही राहत दी गई है। पार्टी का कहना है कि यह कदम बड़े उद्योगपतियों को राहत देने का संकेत है, जबकि मध्यम और उच्च मध्यम वर्ग पर अतिरिक्त बोझ डाला गया है।
भ्रष्टाचार पर मौन
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने रियल एस्टेट क्षेत्र में भ्रष्टाचार पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। पार्टी का कहना है कि सरकार ने इस मुद्दे को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया है, जबकि आम आदमी इससे प्रभावित हो रहा है।
कृषि क्षेत्र में दिखावटी आश्वासन
कृषि क्षेत्र को लेकर सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए गए हैं। पार्टी का कहना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने किसानों की प्रमुख मांगों जैसे MSP की कानूनी गारंटी और कृषि ऋण माफी पर कोई स्पष्ट घोषणा नहीं की। इससे यह साबित होता है कि सरकार सिर्फ पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है और किसानों और ग्रामीण भारत की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है।
बेरोजगारी पर चुप्पी
बजट में बेरोजगारी के मुद्दे को पूरी तरह से नकारा गया है, जिस पर पार्टी ने चिंता जताई है। पार्टी का कहना है कि यदि नौकरियां नहीं होंगी, तो कर छूट का कोई मतलब नहीं है। सरकार ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कोई कदम नहीं उठाया है।
उत्तराखंड की उपेक्षा और बिहार को प्राथमिकता
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि उसने उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों की उपेक्षा की और बिहार को वित्तीय लाभ देकर प्राथमिकता दी। पार्टी का कहना है कि उत्तराखंड को जलवायु परिवर्तन, पलायन, आपदाओं और ढांचागत समस्याओं से निपटने के लिए विशेष आर्थिक सहायता की जरूरत थी, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया।
पार्टी ने सरकार से मांग की है कि वह अपने फैसलों पर पुनर्विचार करे और उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों के लिए विशेष राहत पैकेज की घोषणा करे। यदि सरकार इस पर कोई कदम नहीं उठाती, तो उत्तराखंड के लोग सड़कों पर उतरकर अपनी आवाज उठाएंगे।
