खटीमा में खेत में उतरकर अन्नदाताओं की समस्याएं सुनीं, “हुड़किया बौल” से गूंजा आयोजन
खटीमा (उत्तराखंड) : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को खटीमा के नगरा तराई स्थित अपने खेत में धान की रोपाई कर न केवल कृषि संस्कृति को सम्मान दिया, बल्कि किसानों के श्रम, समर्पण और योगदान को नमन किया। मुख्यमंत्री खुद खेत में उतरकर परंपरागत तरीके से धान की पौध रोपते नजर आए, जिससे ग्रामीणों और किसानों में विशेष उत्साह देखने को मिला।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा, “किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति और परंपरा के संवाहक हैं। वे जिस प्रकार धरती से अन्न उपजाते हैं, उसी तरह हमारे समाज की जड़ों को भी सींचते हैं।”
धान की रोपाई के बाद मुख्यमंत्री ने वहां उपस्थित किसानों से संवाद किया, उनकी समस्याएं सुनीं और सुझावों पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार किसानों की भलाई के लिए निरंतर काम कर रही है और भविष्य में नई कृषि योजनाएं भी लागू की जाएंगी।
इस सांस्कृतिक अवसर को और विशेष बनाने के लिए उत्तराखंड की पारंपरिक लोक विधा “हुड़किया बौल” की भी आकर्षक प्रस्तुति दी गई। मुख्यमंत्री ने इस लोक गायन के माध्यम से भूमि के देवता “भूमियां”, जल के देवता “इंद्र” और छाया के देव “मेघ” की वंदना की। इस अनूठी प्रस्तुति ने कार्यक्रम को एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रंग प्रदान किया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीण व किसान मौजूद रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री के साथ खेत में काम करते हुए अपने अनुभव साझा किए। कई ग्रामीणों ने बताया कि यह पहला अवसर है जब राज्य का मुखिया खुद खेत में आकर उनके बीच बैठा, उनके साथ मिट्टी में उतरा और उनकी बातों को सुना।
