जनसहभागिता से होगा जंगलों का संरक्षण: जिलाधिकारी ने वनाग्नि नियंत्रण को लेकर दिए कड़े निर्देश
संवाददाता सीमा खेतवाल
बागेश्वर, 10 अप्रैल – जिले में बढ़ते वनाग्नि (जंगल में आग लगने की घटनाओं) को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है। इसी क्रम में जिलाधिकारी आशीष भटगांई ने आज एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक में अधिकारियों को ठोस निर्देश देते हुए कहा कि,
“हमारे जंगल केवल हरियाली नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक और जीवनदायिनी विरासत हैं। इनकी सुरक्षा जनसहभागिता और प्रशासनिक सतर्कता से ही संभव है।”
बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि आग की घटनाएं केवल एक संख्या नहीं होतीं, बल्कि ये हमारे पर्यावरण, जीवन और आजीविका पर सीधा आघात होती हैं। उन्होंने सभी विभागों को संवेदनशीलता और तत्परता के साथ कार्य करने का आह्वान किया।
जिलाधिकारी ने वन विभाग, उपजिलाधिकारी, खंड विकास अधिकारी, मनरेगा और शिक्षा विभाग सहित सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे आपसी समन्वय के साथ संभावित जोखिम वाले क्षेत्रों की नियमित निगरानी करें।
उन्होंने मई-जून के महीनों को विशेष रूप से संवेदनशील बताते हुए वन विभाग को अपने संसाधनों और मानवबल को पूरी तरह अलर्ट मोड पर रखने के निर्देश दिए। इसके साथ ही उन्होंने वन चौकियों पर आग बुझाने के उपकरणों की उपलब्धता, फायर लाइन निर्माण में तेजी और सूखी पत्तियों (पिरूल) की शीघ्र सफाई जैसे कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करने को कहा।
जिलाधिकारी ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए कि स्कूल परिसरों और आसपास की झाड़ियों की तत्काल सफाई कराई जाए ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। सड़क किनारे गिरी पत्तियों और पेड़ों की लापिंग (नीचे की शाखाओं की छंटाई) से आग के फैलाव को रोका जा सकेगा।
उन्होंने मनरेगा के तहत जनश्रम के माध्यम से जंगलों की सुरक्षा को और अधिक मजबूत करने की बात कही। ग्रामीणों की भागीदारी से न सिर्फ जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि जंगलों की निगरानी भी अधिक प्रभावी होगी।
जिलाधिकारी ने जल संस्थान को जंगल क्षेत्रों में जलापूर्ति बनाए रखने, और विद्युत विभाग को खराब ट्रांसफॉर्मर और बिजली लाइनों की तत्काल मरम्मत करने के निर्देश दिए।
“हर व्यक्ति की सतर्कता हमारे जंगलों की सबसे बड़ी सुरक्षा है। कोई भी संदिग्ध गतिविधि या आग की घटना होते ही तुरंत वन विभाग या प्रशासन को सूचित करें।”
