अब बिना अनुमति नहीं बदल सकेंगे सड़कों और सार्वजनिक स्थानों के नाम: शासन ने सभी नगर निकायों को भेजा निर्देश
राज्य सरकार ने नगर निकायों को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि अब किसी भी सड़क या सार्वजनिक स्थल का नाम बिना शासन की अनुमति के नहीं बदला जा सकेगा। शहरी विकास विभाग की ओर से यह निर्देश ऐसे समय पर आया है जब कई नगर निकाय बिना पूर्व स्वीकृति के स्थानीय सड़कों और स्थलों के नाम बदलने की कार्रवाई कर रहे थे।
सभी नगर आयुक्तों, नगर पालिका परिषदों और नगर पंचायतों के अधिशासी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी प्रकार का नाम परिवर्तन केवल शासन की पूर्व अनुमति के बाद ही किया जा सकेगा।
पत्र में कहा गया है कि,
“कुछ स्थानीय निकायों द्वारा शासन की अनुमति के बिना ही सड़कों एवं सार्वजनिक स्थानों के नाम बदले जा रहे हैं, जो प्रक्रिया के विरुद्ध है। अब इस प्रकार की कोई भी कार्यवाही शासन की स्पष्ट अनुमति के बाद ही मान्य होगी।”
क्या है नया निर्देश?
- अब स्थानीय निकायों को प्रस्ताव बनाकर उसे शासन को भेजना होगा।
- शासन द्वारा अनुमति मिलने के बाद ही नाम परिवर्तन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
- यदि बिना अनुमति नाम बदले जाते हैं तो वह अमान्य माने जाएंगे और संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
राज्य सरकार के अनुसार, नाम परिवर्तन जैसे निर्णय केवल स्थानीय राजनीति या दबाव में न होकर सुनियोजित और विधिसम्मत तरीके से लिए जाने चाहिए। इससे भविष्य में किसी भी तरह के विवाद, भ्रम या प्रशासनिक समस्याओं से बचा जा सकेगा।
हाल के महीनों में कई नगर निकायों द्वारा चर्चित स्थलों और सड़कों के नाम बदलने की घटनाएं सामने आई थीं, जिनमें से कई को लेकर स्थानीय स्तर पर विवाद भी हुआ। कुछ मामलों में नाम बदलने के बाद सरकारी दस्तावेजों, मानचित्रों और नागरिक सेवाओं में गड़बड़ी की शिकायतें भी आई थीं।
इस आदेश के बाद अब हर नगर निकाय को यदि किसी स्थान का नाम बदलना है तो उसे पहले शासन के समक्ष प्रस्ताव भेजना होगा। शासन द्वारा विषय की गंभीरता, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, स्थानीय जनभावनाएं और प्रशासनिक प्रभाव का मूल्यांकन करने के बाद ही स्वीकृति दी जाएगी।
