“शेर कुत्तों का शिकार नहीं करते” टिप्पणी पर उत्तराखंड में राजनीतिक हलचल,आईएएस एसोसिएशन की कड़ी प्रतिक्रिया
उत्तराखंड में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की एक टिप्पणी ने राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में विवाद पैदा कर दिया है। रावत की यह टिप्पणी, “शेर कुत्तों का शिकार नहीं करते,” को लेकर विरोध जताया जा रहा है। चूंकि ब्रजेश संत, जो राज्य के खान सचिव हैं, दलित समुदाय से आते हैं, इसलिए यह बयान जातिसूचक समझा जा रहा है। इस बयान के बाद राज्यभर में विरोध शुरू हो गया है।
यह विवाद तब उत्पन्न हुआ जब शुक्रवार को त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर अवैध खनन होने का दावा किया था। हालांकि, खान सचिव ब्रजेश संत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे ‘भ्रामक जानकारी’ करार दिया था। इसके बाद, जब शनिवार को दिल्ली में त्रिवेंद्र रावत से इस बयान पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा, “शेर कुत्तों का शिकार नहीं करते।”
रावत की यह टिप्पणी हरिद्वार के जाटवाड़ा क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन का कारण बनी। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने रावत के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि राज्य में पारदर्शी नीतियों के चलते खनन राजस्व तीन गुना बढ़ गया है। वहीं, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने सरकार पर अवैध खनन को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस प्रकरण पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र और राज्य सरकारें अवैध खनन के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही हैं। उन्होंने कहा कि नदियों और उनकी सहायक धाराओं को माफिया ने खोद डाला है। हालांकि, हरीश रावत ने त्रिवेंद्र रावत की टिप्पणी की निंदा भी की और कहा कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को अधिकारियों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार रखना चाहिए।
इस विवाद के बीच, उत्तराखंड IAS एसोसिएशन ने 30 मार्च 2025 को एक आपात बैठक बुलाई, जिसकी अध्यक्षता एसोसिएशन के अध्यक्ष आनंद वर्धन ने की। बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया कि “आईएएस अधिकारी भी आम नागरिकों की तरह सम्मान और गरिमा के हकदार हैं।” एसोसिएशन ने राजनीतिक हस्तियों और संगठनों से अपील की कि वे ऐसे बयानों से बचें जो अधिकारियों के आत्म-सम्मान और कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकते हैं।
आईएएस एसोसिएशन ने यह भी कहा कि उनके सदस्य सरकार की नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और रचनात्मक आलोचना का स्वागत करते हैं। हालांकि, यदि किसी को प्रशासनिक कार्यप्रणाली से कोई शिकायत है, तो उसे “उचित प्रशासनिक चैनलों के माध्यम से ही उठाना चाहिए।” एसोसिएशन ने यह प्रस्ताव मीडिया के साथ साझा किया और मुख्यमंत्री और राज्य के मुख्य सचिव को भी भेज दिया।
